सोमेश व नीलम की सगाई की रस्म पूरी होने के बाद ही दोनों की शादी कर दी गई. चट मंगनी पट ब्याह की कहावत पूरी करने वाली सादगीपूर्ण की गई इस शादी की हर किसी ने सराहना की.
(Photo - झुंझुनूं के बुहाना में बिना दहेज व सादगीपूर्ण शादी ने कायम की मिसाल)
ना दूल्हा जानता था कि वो आज ही अपनी दुल्हन (bride) को घर ले आएगा और ना ही दुल्हन को इस बात का पता था कि वो आज ही अपने बाबुल के घर विदा हो जाएगी. यही नहीं बल्कि वर-वधू पक्ष के लोग भी इस बात से अनजान थे कि थोड़ी देर बाद ही उनका बेटा-बेटी सात फेरों के बंधन में बंध जाएंगे. ऐसा ही मामला झुंझुनूं के मेघपुर में देखने को मिला.
दूल्हे के पिता ने दुल्हन पक्ष के सामने रखा बिना दहेज की शादी का प्रस्ताव - झुंझुनूं के मेघपुर के रिटायर्ड अध्यापक सुबेसिंह अपने बेटे सोमेश यादव के लिए कलाखरी गांव में रिटायर्ड अध्यापक महावीर प्रसाद यादव की पौत्री नीलम की गोद भराई की रस्म अदा करने लिए आए थे. वर-वधु पक्ष गोद भराई की तैयारियों में जुटे हुए थे, तभी दूल्हे के पिता ने दुल्हन के चाचा सुनील यादव के सामने बिना दहेज की शादी व सादगीपूर्ण शादी का प्रस्ताव रखा था, जिसे दोनों पक्षों के लोगों ने स्वीकार कर लिया और तय किया कि क्यों ना किसी और दिन शादी करने की बजाय आज ही शादी भी कर लें. सोमेश व नीलम की सगाई की रस्म पूरी होने के बाद ही दोनों की शादी कर दी गई. चट मंगनी पट ब्याह की कहावत पूरी करने वाली सादगीपूर्ण की गई इस शादी की हर किसी ने सराहना की. बता दें कि दूल्हा सोमेश केंद्रीय विद्यालय में टीचर हैं, तो वहीं दुल्हन नीलम बीएड है. दोनों परिवार संपन्न परिवार हैं.
बिना दहेज व सादगीपूर्ण शादी - इधर मेघपुर में गोद भराई के लिए गये थे दुल्हन लेकर लौटे तो घर व मोहल्ला वाले को खुशी का ठिकाना ना रहा. शादी सादगी की प्रतीक बनी हुयी है जिसमें ना दान ना दहेज ना ही गाजा बाजा. शादी में चंद लोग शामिल हुए और नव दम्पति को आशीर्वाद देकर उज्ज्वल भविष्य की कामना की गई. शादी की बात देर तक घर की चारदीवारी में नहीं रह सकी और बात गांव में फैल गई और आदर्श शादी के चर्चे होने लगे.
ऐसी शादी समाज की नींव का पत्थर साबित होगी - प्रिसिंपल मंजू प्रतिभा ने बताया कि भारतीय समाज में शादी ब्याह के नाम पर फालतू खर्चे ने एक गम्भीर रूप सामाजिक समस्या का विकराल रूप धारण कर लिया है. एक आम मध्यमवर्गीय परिवार अपने सारे जीवन की कमाई बेटे बेटी की शादी के पूरे खर्च के लिए पर्याप्त नहीं होती है. कन्या भ्रूण हत्या का एक बड़ा कारण लड़कियों की शादी का मंहगा होना भी है, ऐसे में आगे आकर विवाह प्रथा को और सरल तथा साधारण बनाने की जरूरत है. ऐसी शादियों की जरूरत व एक सभ्य समाज की नींव का पत्थर साबित बताया है.