अंतरराष्‍ट्रीय कानून जिसकी आड़ में ईरान ने US पर दागीं मिसाइलें - खामोश रहा UN

     ईरानी कमांडर जनरल सुलेमानी की हत्‍या के बाद, जिस तरह से ईरान अमेरिका के खिलाफ आक्रमक हुआ और उसने अमेरिकी सैन्‍य ठिकानों को निशाना बनाया और इस सारे मामले में संयुक्‍त राष्‍ट्र मौन रहा। ऐसे में कई सवाल मन में उठ रहे होंगे कि आखिर इतनी बड़ी जंग के बाद आखिर दुनिया का यह सर्वोच्‍च सदन मौन क्‍यों रहा। उसके मौन के पीछे उसका अपना कानून है। जी हां, इसी कानून की दुहाई देकर ईरान ने अमेरिकी सैन्‍य ठिकानों पर मिसाइल से हमला किया। जने उस कानून के बारे में।


अनुच्‍छेद-51, हर देश को आत्‍मरक्षा का अधिकार - संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रावधान किसी भी देश को अपनी आत्‍मरक्षा का पूरा अधिकार देते है। यूएन चार्टर के अनुच्‍छेद 51 के तहत किसी भी देश को अपनी आत्‍मरक्षा का हक है। इस अनुच्‍छेद में कहा गया है कि आत्‍मरक्षा के लिए की गई कार्रवाई युद्ध की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। यानी इसे अौपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा नहीं मानी जाएगी। इसी कानून की आड़ में तेहरान ने इराक स्थित अमेरिकी सैन्‍य ठिकानों पर मिसाइल हमला किया। उसने यह तर्क दिया था कि वह अपनी आत्‍मरक्षा के लिए यह कदम उठाया है। उसने आत्‍मरक्षा की बात कहकर यह संकेत दिया था कि इस हमले से वह किसी अंतरराष्‍ट्रीय कानून का अतिक्रमण नहीं कर रहा है। यही वजह है कि इस मामले को संयुक्‍त राष्‍ट्र ने कोई बयान जारी नहीं किया है। हालांकि वह दोनों पक्षों से शांति का अपील करता रहा है। 


रान ने कानून के दायरे में रहकर लिया एक्‍शन - सुलेमानी की हत्‍या के बाद ईरान ने इराक में दो सैन्य ठिकानों पर अमेरिकी सैनिकों पर बैलिस्टिक मिसाइल हमले किए। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड ने कहा है कि एरबिल और अल-असद के ठिकानों पर हमले जनरल की हत्या के लिए जवाबी कार्रवाई थी, जो देश के शीर्ष सैन्य नेताओं में से एक थे। वह ईरान के विदेशी सुरक्षा और खुफिया अभियानों के मुख्य वास्तुकार थे। ऐसा पहली बार हुआ था जब ईरान अमेरिकी सैनिकों पर सीधा हमला कर रहा था।