गौ मांस खाना जिनका मौलिक अधिकार वे भला कैसे सनातन धर्म के अनुयायी हो सकते हैं - अजीत सिन्हा

      राँची । सत्य सनातन रक्षा सेना के राष्ट्रीय संयोजक और राष्ट्रीय सनातन वाहिनी के राष्ट्रीय महासचिव (धर्म प्रकोष्ठ) अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पश्चिम बंगाल चुनाव में अपनी जीत का दंभ भरने वाली ममता दीदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिनको गौ मांस से परहेज नहीं और जो इसे खाना अपना मौलिक अधिकार समझती हों वे भला कैसे सनातनी हो सकती हैं?  कोई अपने को ब्राह्मण कहने या मानने से ब्राह्मण या ब्राह्मणी नहीं हो सकते हैं क्योंकि ब्राह्मण की केटेगरी में आने के लिए ब्रह्म ज्ञान के साथ-साथ वैसा आचरण भी होना चाहिये जो कि ममता दीदी में कहीं से भी दिखाई नहीं देता है. ये अपने आप को सनातनी या हिंदू मानती हैं तो मेरी समझ से ये हिन्दुओं की भेष में छिपी हुई ऐसी क्रिप्टो हैं जिनका गुप्त एजेंडा ही है भारत को पुर्णतः इस्लामीकरण करने का।

(अजीत सिन्हा)
     आगे अजीत सिन्हा ने कहा कि आप सभी को विदित हो कि भारत को गायों के कत्लेआम से मुक्त कराने के लिए कम से कम चार - पाँच बार संसद में चर्चा हो चुकी है जो कि रिकार्ड में है और कम से कम दो बार ममता दीदी ने निजी खानपान को मौलिक अधिकार मानकर, कहकर इस प्रस्ताव को एक सिरे से खारिज कर दिया। माननीय अटल बिहारी के कार्यकाल में तो सरकार गिराने की धमकी देकर गौ हत्या को बंद करने वाले बिल को पास नहीं होने दिया। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को तृणमूल सरकार के समर्थन से बनी थी और बाजपेयी जी चाहकर भी इस बिल को पास नहीं करा सके, जो कि निंदनीय है।

     अजीत सिन्हा ने कहा कि आज पश्चिम बंगाल के चुनाव की चर्चा देश में चरम पर है. इस हतु भाजपा और तृणमूल कांग्रेस सहित सभी दल सफलता हेतु एडी-चोटी का दम लगा रहे हैं लेकिन मेरी समझ से मुख्य मुकाबला भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच ही है. हिन्दुत्व की जागृति से तृणमूल काँग्रेस की हवा निकली हुई है क्योंकि तृणमूल कांग्रेस अपने स्वयं के कर्मों से पूरी तरह से एक्सपोज हो चुकी है. इसका चेहरा हिन्दुत्व विरोधी सभी सनातनियों को दिखाई दे रहा है. यह भय तृणमूल कांग्रेस में समा चुका है कि इस बार बंगाल की जनता बदलाव के मूड में है. उनके हाथ के तोते उड़े हुये हैं. इसलिये हिन्दू देवी-देवताओं का नाम लेकर ध्रुवित हो चुकी, हिन्दू वोट में सेंध लगाने का प्रयास कर रही है. देखते हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है? यह आने वाली समय ही बताएगा। 

     अंत में अजीत सिन्हा ने कहा कि राज्य की जनता को पश्चिम बंगाल के चुनाव में वोट देने से पहले काफी सोंच - विचार कर सभी पहलुओं पर विचार की जरूरत है. अपना वोट सही उम्मीदवार को देने हेतु तत्पर रहना चाहिए और बिना लोभ-लालच के अपने मत का सही इस्तेमाल करना चाहिए। जय हिंद, वंदे मातरम्।