कोरोना काल में मरना भी हुआ महंगा, 3 महीने में 3 बार बढ़े अंतिम संस्कार की लकड़ी के दाम

     कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच अब मरना भी लोगों को महंगा पड़ रहा है। बाजारों से लेकर श्मशान घाट तक मुनाफाखोर इस मुश्किल वक्त में भी लोगों को लूटने से नहीं चूक रहे हैं। गाजियाबाद के हिंडन श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लड़की के दाम तीन माह में तीन बार बढ़ा दिए गए। अब यहां पर एक क्विंटल लकड़ी 900 रुपये में दी जा रही है, साथ ही लकड़ियों को प्लैटफॉर्म तक पहुंचाने के 100 रुपये अतिरिक्त चार्ज लिया जा रहा है। 



     भाजपा पार्षद हिमांशु मित्तल ने महापौर और नगर आयुक्त से इसकी शिकायत करते हुए कार्रवाई करने की मांग की है। हिंडन श्मशान घाट पर एक ही व्यक्ति अंतिम संस्कार करता है और वह ही लकड़ी उपलब्ध कराते हैं। श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए पहले 750 रुपये क्विंटल के हिसाब से लकड़ी दी जा रही थी। एक शव के अंतिम संस्कार में चार क्विंटल लकड़ी लगती है। मार्च के आखिरी सप्ताह में एक क्विंटल लकड़ी के दाम 800 रुपये कर दिए। इसके बाद अप्रैल और मई में भी 50-50 रुपये बढ़ा दिए गए। दाम बढ़ाए जाने के पीछे तर्क दिया गया कि लॉकडाउन में लकड़ी महंगी हो गई है। इस कारण श्मशान घाट पर लकड़ी के दाम बढ़ा दिए गए। 


     भाजपा पार्षद हिमांशु मित्तल ने अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी के दाम बढ़ाने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि जिस एक क्विंटल लकड़ी के 900 रुपये वसूल किए जा रहे हैं, वह हापुड़ में 410 रुपये क्विंटल में मिल रही है। लोगों को सहूलियत देने की जगह यह श्मशान घाट लूट का अड्डा बन गया है। यहां 900 रुपये क्विंटल के हिसाब से चार क्विंटल लकड़ी के 3600 रुपये लिए जा रहे हैं। 600 रुपये संस्कार राशि ली जा रही है। 100 रुपये लकड़ी उठाने वाले ले रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों के संरक्षण में खुलेआम लोगों से ज्यादा पैसे वसूलने का खेल चल रहा है।


     ''लॉकडाउन में लकड़ी के दाम बढ़ गए हैं। इस वजह से लकड़ी महंगी बेची जा रही है। लॉकडाउन खत्म होते ही लकड़ी 750 रुपये क्विंटल के हिसाब से बेची जाएगी। लावारिश शवों के अंतिम संस्कार के लिए कोई पैसा नहीं मिलता। लोग बाजार से भी लकड़ी खरीद सकते हैं