अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपने देश भारत में मनाए जाने वाले गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्र वासियों को हार्दिक बधाई देते हुये, उन्हें गणतंत्र का सही अर्थ समझने हेतु आग्रह किया। उसी अनुरूप राष्ट्र के लोगों में सुधार की अपेक्षा पर बल दिया।
गणतंत्र में लोगों का तंत्र होता है जिसमें जनता के लिये, जनता द्वारा शासित होता है। इसके अंतर्गत राष्ट्र के लोगों के हाथ में सत्ता की बागडोर होती है तथा परिवर्तन की शक्ति भी। इस हेतु प्रत्येक लोकतांत्रिक देश का अपनी संविधान भी होता है। अंग्रेजों द्वारा अनेक शर्तों पर मुक्त भारत की घोषित आजादी के बाद, अपने देश भारत को भी संविधान निर्माण की आवश्यकता पड़ी और इस संविधान की घोषणा 26 जनवरी 1950 को हुई. इसलिये प्रत्येक वर्ष इस तिथि को हमलोग गणतंत्र दिवस मनाते हैं. जनता द्वारा शासित सत्ता का हमलोग समर्थन करते हैं।
लेकिन समझने वाली बात है कि जब हमें पूर्ण आजादी प्राप्त ही नहीं हुई है तो गणतंत्र दिवस समारोह मनाने का क्या औचित्य है? सभी लोग स्वयं से प्रश्न करें और मनन भी। कहने का तात्पर्य यह है कि परतंत्रता की छाया में हम गणतंत्र दिवस कैसे मना रहे हैं? इसे गणतंत्रीय सरकार की स्थिति एवं क्रियाकलापों का आकलन से पता लगाया जा सकता है। पुर्ण स्वतंत्रता के साथ - साथ हमें कई मोर्चों पर स्वाधीनता प्राप्त करनी है जैसे भूख - गरीबी पर, स्वास्थ्य के साधनों पर, बीमारी और महामारी पर, बेरोजगारी - बेकारी पर, बलात्कार और नारी उत्पीड़न से मुक्ति पर, अन्न उत्पादन, आर्थिक, सामाजिक, सामाजिक, शैक्षणिक और सामरिक मोर्चों पर। तात्पर्य यह कि जीवन के प्रत्येक आयाम एवं विकास की दिशा में आत्म निर्भर बनकर ही पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त की जा सकती है. तभी गणतंत्र सार्थक होगा अन्यथा यह एक समारोह मात्र ही दिखेगा।
इस पर मनन, चिंतन करना आवश्यक है कहूँगा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस सरीखे हमारे नेताओं ने ना तो ऐसी स्वतंत्रता और गणतंत्रता की कल्पना की थी। जिस तरह का शासन अपने देश के लोगों ने घोषित आजादी के बाद देखा है. खासकर काँग्रेस के समय में लाल बहादुर शास्त्री के शासनकाल को छोड़कर , ये भारत के लोगों का शासन नहीं था अपितु हिन्दुत्व के भेष में छुपे मुगलों का शासन प्रतीत होता था। जिनका प्रमुख एजेंडा ही है भारत सहित विश्व इस्लामीकरण का। लेकिन अब यह सब नहीं चलेगा क्योंकि भारत वासियों को पूर्ण स्वतंत्रता के साथ-साथ पूर्ण गणतंत्रता भी चाहिये अर्थात् राष्ट्र भक्तों का शासन और उसमें प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। जय हिंद।