कहानी - शादी मेंढक मेंढकी की

Story - लाला राजेश निगम इंदौरी  

 (मध्य प्रदेश, प्रदेशाध्यक्ष भारतीय पत्रकार सुरक्षा परिषद, नई दिल्ली)

 मित्रों, 

(लाला राजेश निगम इंदौरी )
     आपने आज तक लैला-मजनू, हीर-रांझा, सोनी-महिवाल और भी अनेकों प्रेम कहानियां सुनी होंगी लेकिन मैं आज आपको मेंढक मेंढकी की प्रेम कहानी सुनाने वाला हूं. स्वार्थी इंसान की फितरत अद्भुत होती है. अपने स्वार्थ के लिए वह पशु-पक्षी व किसी भी जीव जंतु के साथ कुछ भी जादू टोना कर सकता है. यहां तक कि अपने स्वार्थ के लिए इनकी बलि व कुर्बानी भी चढ़ा देता है. इंसान की इस फितरत को टीनू नाम का मेंढक बहुत अच्छे से जानता था. टीनू मेडक बहुत समझदार था. वह जानता था, बारिश के मौसम में यदि बारिश नहीं होती है तो यह इंसान मेंढक-मटकी की जबरदस्ती शादी करवा देता है और अधिक बारिश होने पर  जबरदस्ती तलाक भी करवा देता है. टीनू को मेंढकों कि राजनीति में कोई रुचि नहीं थी, इसलिए टीनू ने शादी के लिए पहले से ही अपनी एक योजना बना ली थी क्योंकि उसे इंसान कि तरह मेंढकों राजा नहीं बनना था, ताकि शादी के बाद पत्नी को छोड़कर राजा बनने के लिए हिमालय पर निकलना पडे. उसे तो अपना शादीशुदा जीवन खुशी से बिताना था.

      टीनू के कॉलेज में नाटी नाम की मेढ़की पढ़ती थी, टीनू नाटी की समझदारी से बहुत प्रभाविता था उसे बहुत पसंद करता था, टीनू ने नाटी मेढ़की से धीरे-धीरे नज़दीकियां बढ़ाना चालू कर दी, कुछ ही दिनों में इनकी नज़दीकियां प्यार में तब्दील हो गई. 

     कॉलेज से जब भी दोनों को समय मिलता तो यह चोरी चुपके सुंदर फूलों के बागवान में घूमने निकल जाते बारिश आने पर बड़े-बड़े फूलों को यह अपनी छतरी भी बना लेते थे, टीनू और नाटी  अलग-अलग धर्मों के  तलाव में रहते थे इसलिए मेंढक समाज में इनका धर्म भी अलग था. कुछ ही दिनों में बारिश के दिन भी आ गए और बारिश भी नहीं हो रही थी, बारिश नहीं होने से टीनू बहुत घबरा रहा था, उसे डर था कहीं बारिश नहीं होने पर इंसान उसे पकड़ ना ले और किसी काली, पीली,अनपढ़,मूर्ख मेढ़की से जबरदस्ती शादी करा दे, ये दोनों अलग-अलग धर्म के तालाब में रहते थे, इस  कारण मेंढक समाज अपने को भी दूसरे धर्म का मानता था, नाटी दूसरे धर्म के तलाव में रह्ती थी, टीनू भी अलग धर्म के तलाव में रहता था, टीनू और नाटी इन दोनों का धर्म भी अलग हो गया था, टीनू मेंढक चिंतित था अलग धर्म समाज होने के कारण समाज में बदनामी का डर मेंढक समाज में कहीं दंगे फसाद ना हो जाए, टीनू नाटी के धर्म को लेकर और भी ज्यादा परेशान हो रहा था, मेंढक समाज में धर्म को लेकर वैसे भी तनावपूर्ण वातावरण बना हुआ था, टीनू ईश्वर पर बहुत विश्वास रखता था. ईश्वर के बनाए हुए नियमों की कद्र करता था, धर्म जात पात पर विश्वास नहीं करता था,धर्म के नाम पर इंसानी फितरत का असर वह अपने मेंढक समाज पर नहीं होने देना चाहता था, टीनू ने अपने तलाव के मेंढक मेंढकी को एकत्रित करके दूसरे धर्म के तलाव वाले मेंढको को दूर जंगल में आमंत्रित करा इस धर्म की लड़ाई में मेंढकी नाटी भी साथ थी, दोनों तालाब के मेंढकों ने एक बड़ी सभा करी उस सभा में ईश्वर की शपथ के साथ एक बड़ा निर्णय लिया।

    इंसान चाहे जितना भी धर्म के नाम पर नफरत वाली राजनीति करें, लेकिन हम इंसान की इस फितरत का मेंढक समाज पर कोई असर नहीं पड़ने देंगे, हम चाहे जिस किसी धर्म के तालाब में रहे लेकिन हम एक साथ प्यार मोहब्बत से रहेंगे कोई कुछ भी कहे हम मेंढक हैं और मेंढक ही रहेंगे लेकिन धर्म के नाम पर लड़ने वाले हम इंसान नहीं बनेंगे विविध प्रकार के फूलों से ही एक प्यार भरा गुलदस्ता तैयार होता है, मेंढक समाज वही गुलदस्ता बनने जा रहा था, मेंढक समाज ने टीनू और नाटी की शादी धूमधाम से करा दी, इंसान इन की शादी कही और कराता उसके पहले ही इन दोनों की शादी मेंढक समाज ने  करा दी, शादी के बाद दोनों तलाव वाले मेंढक समाज धर्म के नाम पर होने वाले दंगे फसाद स्थाई तौर से बंद हो गए अब दोनों तालाब के मेंढक मेंढकी प्यार मोहब्बत से एक साथ रहने लगे, टीनू और नाटी अब शादीशुदा प्यार भरा जीवन खुशी से व्यतीत कर रहे हैं, जल्दी ही दोनों माता पिता बन जाएंगे, ईश्वर से कामना करते हैं बारिश का संतुलन बनाए रखें, ताकि इनके खुशहाल जीवन में धर्म के नाम पर किसी इंसान की नजर ना लग जाए, इंसान का क्या भरोसा कम बारिश होने पर  मेंढक-मेंढकी शादी करा देते हैं, अधिक बारिश होने पर मेंढक-मेंढकी का तलाक भी करवा देते हैं, टीनू और नाटी का प्यार अमर रहे.