News from - गोपाल सैनी
जयपुर. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र प्रेषित कर विधानसभा के घेराव के समय 2 मार्च को दिये गये 18 सूत्री ज्ञापन में उल्लेखित समस्याओ के समाधान हेतु बिन्दुवार चर्चा कराने का आग्रह किया। चर्चा नही होने तक या विधानसभा सत्र चलने तक विधानसभा पर किसानो को धरना आयोजित नही करना पड़े. इस हेतु से शीघ्र कार्यवाही का आगाह किया है।
(रामपाल जाट) |
इनको भी किसानों को अनेकों बार लागत से कम दामों पर बेचने को विवश होना पड़ता है । अभी जौ एवं चना की उपजे आने वाली है, चना का बाजार भाव अभी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है , जबकि किसानों को अच्छा उत्पादन होने के उपरांत भी उसके न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त होने की संभावना नहीं है । जैसे - बाजरे की उपज का सरकार के अनुसार लागत 1555 प्रति क्विंटल होते हुए भी किसानों को 1300 से 1400 रूपय प्रति क्विंटल बेचनी पड़ी । न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपय प्रति क्विंटल थे किंतु सरकारों ने खरीद नहीं की थी ।
राजस्थान में मंडी कानून में शब्द may को shall कर दिया जाता तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्राप्ति का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो जाता । इसी संबंध में प्रदेश के किसानों ने 02 मार्च को विधानसभा का घेराव कर सरकार को चेताया था । मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर इस संबंध में आग्रह किया गया था किंतु परिणाम ‘ढाक के तीन पात जैसा ही रहा’ ।
राज्य सरकार को कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीलामी बोली आरंभ करने जैसे कदम उठाने के कारण स्वयं को खरीद की आवश्यकता नहीं होती है । तब भी राज्य सरकार सार्थक पहल नहीं कर पा रही है। ज्ञात रहे कि किसानों की ओर से 02 मार्च को मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर उस पर बिंदुवार चर्चा कराने का आग्रह किया गया किंतु उसका भी उत्तर अभी तक किसानों को प्राप्त नही हुआ । यदि रविवार तक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ तो किसानों को विधानसभा सत्र चलने या ज्ञापन पर बिन्दुवार चर्चा होने तक, (जो भी पहले होगी) विधानसभा पर धरना / प्रदर्शन के लिये विवश होना पड़ेगा।