कोचिंग संस्थानों के छात्र पढ़ाई करने की बजाय आत्महत्या कर रहे है

News from -अभिषेक जैन बिट्टू

राजस्थान सरकार हाथ पर हाथ धरे नही बैठ सकती, उच्चस्तरीय जांच करवाएं - संयुक्त अभिभावक संघ

     जयपुर। छात्र केवल घर-परिवार का नही बल्कि देश और प्रदेश का भी भविष्य होते है किंतु इन दिनों देश का भविष्य आत्महत्या का शिकार हो रहे है। जो विगत डेढ़-दो वर्षो से लगातार जारी है। प्रदेश के स्कूल, कोचिंग संस्थान और कॉलेज शिक्षा के मंदिर है जो परिवारों और राज्यों के भविष्य की नींव को मजबूत बनाते है किंतु इन दिनों यह शिक्षा के मंदिर छात्रों की आत्महत्या के सबसे प्रमुख कारण बनते जा रहे है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी केवल तमाशा देख रही है। 

     संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान सरकार से मांग करता है की वह छात्रों की आत्महत्या के मामले को गंभीरता से लेवें और आत्महत्या के कारणों की उच्चस्तरीय जांच करवा, सख्त से सख्त कार्यवाही निर्धारित करें। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की प्रदेश में आजकल अत्याचार भी इतने शिक्षित हो गए है की छात्रों को पढ़ने की बजाय आत्महत्या करने का सहारा लेना पड़ रहा है। बावजूद इसके राज्य सरकार और प्रशासन के कानों पर जू तक नही रेंग रही है जिसकी वजह से देश और राजस्थान का भविष्य खोखला होता नजर आ रहा है। अगर समय रहते इन कारणों की जांच नही की गई तो केवल घर-परिवार ही खोखले नजर नही आयेंगे बल्कि देश का भविष्य जो नौजवानों पर टिका हुआ है वह नजर नही आयेगा। इसलिए सरकार को शिक्षा के मंदिरों को गंभीरता से लेते हुए छात्रों में बढ़ रहे स्ट्रेस को कम करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।

अभिभावक भी छात्रों का रखे ध्यान, जबर्दस्ती छात्रों पर ना बनाए दबाव

      प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की केवल सरकार की नीतियों, प्रशासन की खामोशियों और स्कूलों की प्रेशर पढ़ाई से ही छात्रों में स्ट्रेस नही बढ़ रहा है बल्कि अभिभावकों के दबाव से भी छात्रों में स्ट्रेस बढ़ रहा है। अभिभावकों को भी अपने बच्चों में स्ट्रेस कम करने के उपाय खोजने चाहिए। पढ़ाई पर चर्चा होनी चाहिए किंतु अतिरिक्त दबाव नहीं होना चाहिए। 

     सरकार को बच्चों में स्ट्रेस कम करने के लिए स्कूल स्तर पर एक समिति का गठन करना चाहिए जिसमें शिक्षक, छात्र, अभिभावक और प्रशासनिक अधिकारी मिलकर छात्रों में पनप रहे अतिरिक्त मानसिक दबाव को खत्म करने के उपाय खोजने चाहिए।

राइट टू हेल्थ बिल राइट टू एजुकेशन बिल की तरह जनता से धोखा, निजी संस्थानों पर कानून लागू हो

     संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की राइट टू हेल्थ बिल एक चुनावी धोखा है, जिस प्रकार पूर्वृति सरकार राइट टू एजुकेशन बिल लेकर आई थी जिसमें छात्रों को अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान तो किए गए थे किंतु किसी गरीब बच्चे को शिक्षा नही मिल रही थी उसी तर्ज पर राइट टू हेल्थ बिल लेकर आया गया है जिसमें सरकार यह दावे तो कर रही है की इलाज प्रत्येक नागरिक का अधिकार है किंतु दिया किसी को जायेगा नही। 

     केवल निजी शिक्षण संस्थानों की तर्ज पर निजी हस्पतालों का संरक्षण किया जायेगा और माफियाओं व मुनाफाखोरों को फायदा पहुंचाया जाएगा। जबकि राइट टू हेल्थ बिल गरीब और जरूरत मंद नागरिकों को शत प्रतिशत इलाज मिले की प्राथमिकता पर होना चाहिए, जो हस्पताल किसी जरूरतमंद का इलाज ना करे तो उसका लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द होना चाहिए। ऐसा इस बिल में प्रावधान होना चाहिए, तब जाकर सही मायनों में जरूरतमंदों को इस बिल का फायदा होगा।