देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी नगरी में कार्तिक पूर्णिमा की शाम अनूठे उत्सव में घाटों पर जलते लाखों दीयों ने मां गंगा के गले में अद्भुत-अलौकिक चंद्रहार दमकने का आभास कराया। अमर जवान ज्योति पर शहीदों को सेना की सलामी तो कश्मीर के लाल चौके पर लहराते तिरंगे के सामने कंस वध के जरिए आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया गया।कार्तिक पूर्णिमा की सांझ ढलते ही पंचगंगा के हजारा में सजे दीपों की लौ दिखते ही आठ किलोमीटर लंबे अर्द्ध चंद्रकार 84 घाटों के साथ ही शहर के सौ से ज्यादा कुंड-तालाब और पार्कों में दीप जले तो अनुपम आभा नजर आई.(Photo - Dev Diwali)
देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी नगरी में कार्तिक पूर्णिमा की शाम अनूठे उत्सव में घाटों पर जलते लाखों दीयों ने मां गंगा के गले में अद्भुत-अलौकिक चंद्रहार दमकने का आभास कराया। अमर जवान ज्योति पर शहीदों को सेना की सलामी तो कश्मीर के लाल चौके पर लहराते तिरंगे के सामने कंस वध के जरिए आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया गया। कार्तिक पूर्णिमा की सांझ ढलते ही पंचगंगा के हजारा में सजे दीपों की लौ दिखते ही आठ किलोमीटर लंबे अर्द्ध चंद्रकार 84 घाटों के साथ ही शहर के सौ से ज्यादा कुंड-तालाब और पार्कों में दीप जले तो अनुपम आभा नजर आई.
हर-हर महादेव, हर-हर गंगे और धार्मिक गीत-संगीत से पूरा वातावरण सांस्कृतिक, धार्मिक भावना से सराबोर हो गया।