5 अगस्त से कई जगह इंटरनेट और प्री-पेड मोबाइल कनेक्टिविटी को घाटी में बंद कर दिया है.
जम्मू-कश्मीर में अनुछेद 370 (Article 370) रद्द करने के बाद प्रशासन ने 5 अगस्त से कई जगह इंटरनेट और प्री-पेड मोबाइल कनेक्टिविटी को घाटी में बंद कर दिया. इसके चलते आतंकियों ने फिर से 90 की दशक की तरह सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
(आतंकी अपने आकाओं से संपर्क में रहने के लिए सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करते हैं < प्रतीकात्मक तस्वीर)
जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने गांदरबल आतंक विरोधी ऑपरेशन के दौरान एक सैटेलाइट फोन आतंकवादियों के पास से बरामद किया गया था. वहां मुठभेड़ में दो पाकिस्तानी आतंकी मारे गए थे. इसके बाद श्रीनगर के सौरा के अंचर इलाके में एक सैटेलाइट फोन की लोकेशन का भी पता चला था, तब वहां भी घंटों तलाशी अभियान भी चलाया गया था. सितंबर में, भारतीय सेना ने गांदरबल के पहाड़ों में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया था, जिसमें दो आतंकवादी मारे गए थे और बाद में दो आतंकी समर्थक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. ऑपरेशन लगभग 20 दिनों तक जारी रहा था.
आकाओं से संपर्क - एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एक सैटेलाइट फोन की बरामदगी की पुष्टि करते हुए ज़ी न्यूज़ को बताया, "मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में आतंकवादियों से एक थुरैया सैटेलाइट फोन बरामद किया गया था." अधिकारी ने यह बतया कि यह सैटलाइट फ़ोन आतंकियों के कमांडर ज्यादातर इस्तेमाल करते हैं और कश्मीर सहित पाकिस्तान में भी अपने आकाओं से संपर्क में रहने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.
पुरानी कम्युनिकेशन रणनीति - वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि आतंकवादी पुरानी कम्युनिकेशन रणनीति को अपना रहे हैं. उन्होंने कहा कि "पिछले सप्ताह श्रीनगर के सौरा इलाके में एक सैटलाइट फ़ोन की लोकेशन का पता चला था, फिर सुरक्षाबलों को तलाशी अभियान चलना पड़ा था; मगर यह फ़ोन बरामद नहीं हुआ."
सुरक्षाबल सतर्क - भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिश करने वाले आतंकियों के समूहों से समय-समय पर कई ऐसे उपकरण बरामद किए गए हैं, लेकिन घाटी में इंटरनेट उपलब्ध होने के कारन घाटी में सैटलाइट फ़ोन को आतंकी काम इस्तेमाल करते थे. मगर इसका इस्तेमाल फिर होने के कारन सुरक्षाबल फिर सतर्क हो गए हैं.