नेशनल बर्ड वॉचिंग-डे - ओडिशा की चिल्का झील में प्रवासी पक्षियों का बसेरा

135 प्रजातियां देखने को मिलेंगी - हमारे देश के कई राज्यों में स्थित पक्षी अभ्यारण्यों में खूबसूरत और दुर्लभ पक्षियों का डेरा है। कई बर्ड सेंचुरीज में सर्दियों के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी भी आते हैं। आज नेशनल बर्ड वॉचिंग-डे पर जानते हैं देश के पक्षी अभ्यारण्यों के बारे में। इनमें चिल्का लेक बर्ड सेंचुरी खास है।



 चिल्का एशिया की सबसे बड़ी झील - ओडिशा की प्रसिद्ध चिल्का लेक के किनारे पर बसी हुई चिल्का लेक बर्ड सेंचुरी यानी नलबण बर्ड अभ्यारण्य की खूबसूरती चंद शब्दों में बयां नहीं की जा सकती है। चिल्का एशिया की सबसे बड़ी झील है। ये कई प्रवासी पक्षियों का घर है। यहां आप को पक्षियों की सैकड़ों प्रकार की प्रजातियां देखने को मिलेंगी। हर साल हजारों की संख्या में सैलानी चिल्का लेक घूमने आते हैं, जो यहां विविध प्रजातियों के कलरव करते पक्षियों को निहारते हैं। दरअसल, चिल्का झील बर्ड वॉचर्स के लिए अच्छी जगह है। पीअर-आकार में बनी चिल्का झील करीब 1,100 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में फैली है। सर्दी के मौसम में इसे प्रवासी पक्षियों के लिए सबसे बड़ा मैदान माना गया है। यहां पर समुद्री ईगल्स, ग्रेलेग गुइज और बैंगनी मूरिन जैसे अनोखी प्रजातियों के पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इस झील में कई छोटे द्वीप हैं, जिनमें अक्टूबर से मार्च तक खूबसूरत सुंदर पंखों वाले मेहमान रहते हैं। यहां के नलबण अभ्यारण्य को करीब दो दशक पहले बर्ड सेंचुरी घोषित किया गया था। यहां बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं।


इराक, इरान, सर्बिया और हिमालय से आते हैं पक्षी - अक्टूबर से मार्च माह तक यहां प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं। ये पक्षी इराक, इरान, सर्बिया और हिमालय से आते हैं। इस मौसम के दौरान यहां पक्षियों की 135 प्रजातियां देखने को मिलती हैं। इस स्थाई गांव मंगलाजोड़ी में मछुआरों के समुदाय रहते हैं। इको-टूरिज्म के लिहाज से भी यह एक बेहतरीन स्थान है। पक्षियों को निहारने के साथ ही यहां बोट सफारी की सुविधा उपलब्ध है।