60 रुपये किलो वाला 790 टन प्याज पहुंचा भारत, लेकिन जनवरी के बाद ही मिलेगी राहत

     देश में प्याज की किल्लत से आसमान छू रही कीमतों पर जल्द ही लगाम कसने की उम्मीद है। विदेश से 790 टन प्याज की पहली खेप भारत पहुंच गई है और सरकार ने दिल्ली व आंध्र प्रदेश में इसकी आपूर्ति शुरू हो गई है। उपभोक्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि प्याज के बंदरगाह पर उतरने की लागत 57-60 रुपये किलो आई है। इसी लागत पर राज्यों को इसकी आपूर्ति की जाएगी।



     अधिकारी के मुताबिक, दिसंबर के आखिर तक देश में करीब 12 हजार टन प्याज का आयात होने की उम्मीद है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी ने अभी तक विभिन्न देशों के साथ 49,500 टन प्याज के आयात का अनुबंध किया है। इसमें से 290 टन और 500 टन की दो खेप मुंबई पहुंच चुकी है। इससे घरेलू आपूर्ति में मदद मिलेगी।

   अधिकारी ने बताया कि हम राज्य सरकारों को यह प्याज बंदरगाह पर 57-60 रुपये प्रति किलोग्राम की लागत के आधार पर दे रहे हैं। आंध्र प्रदेश और दिल्ली ने प्याज की मांग की थी और दोनों राज्यों ने इसका उठाव भी शुरू कर दिया है। यह प्याज तुर्की, मिस्र और अफगानिस्तान से लाया गया है। गौरतलब है कि देश के कई प्रमुख शहरों में प्याज का खुदरा दाम 100 रुपये किलोग्राम तक पहुंच गया है, जबकि कई जगहों पर यह 160 रुपये के भाव बिक रहा है। 


जनवरी तक ऊंचे रहेंगे दाम


   व्यापारियों और कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगले साल जनवरी के अंत तक प्याज की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी। उसके बाद खरीफ फसल की आवक होने पर दाम नीचे आएंगे। 2019-20 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में खरीफ का उत्पादन 25 फीसदी कम रहने का अनुमान है। ऐसा प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून की देरी और अत्यधिक बारिश की वजह से हुआ है। इससे पहले 2015-16 में भी देश में दो हजार टन प्याज का आयात करना पड़ा था।