भारतीयों के स्विस खातों, काले धन के बारे में जानकारी देने से वित्त मंत्रालय ने किया इंकार
     वित्त मंत्रालय ने भारतीयों के स्विस बैंकों में मौजूद खातों के बारे में किसी तरह की जानकारी देने से इंकार कर दिया है। मंत्रालय ने कहा है कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच हुई कर संधि में गोपनीयता नीति के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता है।  पीटीआई संवाददाता द्वारा दाखिल की गई एक आरटीआई के जवाब में मंत्रालय ने कहा है कि विदेशों से प्राप्त हुए काले धन के बारे में भी किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दे सकती है। 

गोपनीयता नीति का होगा उल्लंघन

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अगर उसने आरटीआई के तहत इस बात की जानकारी दी तो फिर यह दोनों देशों के बीच हुई कर संधि में गोपनीयता नीति का उल्लंघन होगा। इस वजह से इस बात की जानकारी देना आरटीआई कानून के सेक्शन 8 (1) ए और 8 (1) एफ के तहत देना बाध्यकारी नहीं है।  सेक्शन 8 (1) ए के तहत इस तरह की जानकारी नहीं दी जा सकती है, जिससे भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचे या फिर राष्ट्र की सुरक्षा, आर्थिक स्थिति अथवा बाहरी देशों के साथ संबंधों पर असर पड़े। वहीं दूसरे सेक्शन के मुताबिक वो जानकारी नहीं दी जा सकती है, जो किसी अन्य देश से गोपनीयता के तहत साझा की गई है। 

वित्त मंत्रालय से मांगी गई थी ये जानकारी

आरटीआई में वित्त मंत्रालय से इस बात की जानकारी मांगी गई थी, कि कितने भारतीयों के स्विट्जरलैंड में बैंक खाते हैं। इसके साथ ही काले धन के बारे में भी ब्यौरा मांगा गया था, जिसकी जानकारी भारत सरकार को दी गईहै। सितंबर में भारत को पहली बार भारतीयों के स्विस बैंक खातों के बारे में जानकारी उपलब्ध हुई थी।  भारत उन 75 देशों में शामिल हैं, जिनका स्विस सरकार से कर संधि है। ऐसा माना जाता है कि कई भारतीयों ने अपने स्विस बैंक खातों को बंद कर दिया है, जब स्विट्जरलैंड सरकार ने विश्व द्वारा दबाव पड़ने पर बैंकिंग सेक्टर की जानकारी देने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए थे। 

कांग्रेस सरकार ने 2011 में काला धन का पता लगाने के लिए तीन अलग-अलग संस्थानों से रिपोर्ट तैयार करने को कहा था, जिन्होंने 30 दिसंबर 2013, 18 जुलाई 2014 और 21 अगस्त 2014 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। यह तीन कमीशन दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी, नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च व फरीदाबाद स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनेंशियल  मैनेजमेंट हैं। 

2005-2014 के बीच इतना काला धन जमा होने का आकलन

अमेरिका स्थित ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी नामक थिंक टैंक के अनुसार भारत में 2005-14 के बीच भारत में करीब 770 अरब डॉलर का काला धन आया, जबकि 165 अरब डॉलर का कालाधन देश से बाहर गया। हालांकि यह केवल एक आकलन है और सरकार की तरफ से इस बात की पुष्टि नहीं की गई है।  स्विस नेशनल बैंक की तरफ से हाल ही में बताया गया था कि वहां के बैंकों में वर्ष 2017 में भारतीयों की जमा राशि में 50 फीसदी यानी करीब दो गुना इजाफा हुआ है। अधिकृत तौर पर वहां भारतीय लोगों की जमा राशि करीब 7,000 करोड़ रुपये हो गई है। हालांकि आंकड़ों के मुताबिक, स्विस बैंक में जमा विदेशी धन में केवल 0.07 फीसदी धन ही भारतीयों का है।