जांलधर की लेदर फैक्टरियां फिलहाल रहेंगी बंद -हाईकोर्ट ने जताई असंतुष्टि

     प्रदूषण फैलाने के कारण पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा जालंधर लेदर कॉम्पलैक्स में स्थित लेदर टैनरीज (लेदर फैक्टरियों) को फिलहाल हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. 


(File Photo - लेदर टैनरीज / लेदर फैक्टरियां)



     प्रदूषण फैलाने के कारण पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा जालंधर लेदर कॉम्पलैक्स में स्थित लेदर टैनरीज (लेदर फैक्टरियों) को फिलहाल हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है और फिलहाल ये लेदर टैनरीज बंद रहेंगी. लेदर फैक्टरियों के मालिकों ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों की अनुपालना करने को लेकर हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग दी, जिसपर जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरिन्दर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने असंतुष्टि जताई. जस्टिस राजीव शर्मा ने कहा कि टैनरीज की तरफ से इस तरह कंडीश्नल अंडरटेकिंग देने की उम्मीद नहीं थी. 


   हाईकोर्ट ने कहा कि सभी यूनिट अल्ग अल्ग अंडरटेकिंग दें जिसमें हर नियम की पालना उस यूनिट द्वारा कितने समय में की जाएगी उसकी पूरी जानकारी दी जाए. कोर्ट ने कहा इस तरह सभी यूनिट द्वारा एक ही हल्फनामा दाखिल करने से भविष्य में नियमों की पालना को लेकर कन्फयूज़न रहेगी . क्योंकि इन लेदर टैनरीज में ड्राई और वेट दोनों शामिल हैं. हाईकोर्ट ने कहा जब तक सभी यूनिट अल्ग अल्ग अंडरटेकिंग नहीं देते, तब तक फैक्टरियों में काम शूरू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.


   हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर के आदेशों में प्रदूषण नियंत्रण पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1974 और जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम, 1974 के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जालंधर के लेदर कॉम्पलैक्स में स्थित टैनरीज को बंद करने के आदेश दे दिए थे जिसके बाद से 61 लेदर फैक्टरियों को बंद करवा दिया गया था. हाईकोर्ट ने यह आदेश पंजाब एफ्लुएंट ट्रीटमेंट सोसायटी फॉर टैनरीज और अन्यों द्वारा दायर याचिका पर आए थे जिसमें लेदर फैडरेशन के सदस्यों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के नियमों की अनदेखी करने के आरोप लगाए गए थे और कहा गया था कि लेदर कॉम्पलैक्स में चल रही लेदर फैक्टरियों से काला संघिया ड्रेन में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है


   काला संघिया में जल प्रदूषण को कम करने के लिए हाईकोर्ट ने इससे पहले भी सीवरेज डिस्पोजल बोर्ड, पीएसआईईसी के चीफ इंजीनियर और जालंधर नगर निगम के संयुक्त आयुक्त को ऐसा तरीका ढूंढने को कहा था जिससे जालंधर की फैक्टरियों और बूचड़खानों से निकलने वाले द्रव्य कचरे को सीवरेज लाइन में डाले जाने से पहले शोधित किया जा सके.