नरसिंह राव ने गुजराल की सलाह मानी होती तो 1984 के दंगों को रोका जा सकता था - मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री)

      पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि 1984 में तत्‍कालीन गृह मंत्री नरसिंह राव ने यदि इंद्र कुमार गुजराल की सलाह पर गौर किया होता तो सिख विरोधी दंगों को रोका जा सकता था.


(Photo - पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह )



      पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि 1984 में तत्‍कालीन गृह मंत्री नरसिंह राव ने यदि इंद्र कुमार गुजराल की सलाह पर गौर किया होता तो सिख विरोधी दंगों को रोका जा सकता था. बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल को याद करते हुए उनके 100वें जन्‍मदिन पर मनमोहन सिंह ने कहा, ''1984 में जैसे ही घटनाएं शुरू हुई, उसी दिन शाम को गुजराल केंद्रीय गृह मंत्री नरसिंह राव से मिलने गए और उनसे कहा कि हालात इतने भयावह हैं कि सरकार को जल्‍द से जल्‍द सेना को बुला लेना चाहिए. यदि उस सलाह पर गौर किया गया होता तो 1984 में इतने व्‍यापक पैमाने पर हिंसा और दंगे नहीं होते.''


   मनमोहन सिंह ने उन यादों को भी साझा किया कि कैसे आपातकाल के बाद के दौर में उनके आपसी रिश्‍तों में प्रगाढ़ता बढ़ी. मनमोहन सिंह ने कहा, ''वह सूचना और प्रसारण मंत्री थे और आपातकाल के दौरान उसके प्रबंधन से जुड़ी कुछ नीतियों से असहज थे लिहाजा उनको योजना आयोग में मंत्री बनाकर भेज दिया गया. उस वक्‍त मैं वित्‍त मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार था...उसके बाद हमारे संबंध विकसित हुए.''


   इस संबंध में पीवी नरसिंह राव के पौत्र और बीजेपी नेता एनवी सुभाष ने कहा, ''परिवार का सदस्‍य होने के नाते डॉ मनमोहन सिंह के बयान से मुझे दुख हुआ. उनका बयान अस्‍वीकार्य है. क्‍या कोई गृह मंत्री कैबिनेट की बैठक के बिना स्‍वतंत्र रूप से निर्णय ले सकता है. यदि सेना को बुलाया जाता तो और भी बदतर स्थिति हो सकती थी.''


   इंद्र कुमार गुजराल अप्रैल 1997 से लेकर मार्च 1998 तक देश के 12वें प्रधानमंत्री रहे. विदेश नीति के क्षेत्र में भारत के अपने पड़ोसियों के साथ अच्‍छे संबंधों को विकसित करने के लिए उन्‍होंने पांच सिद्धांत दिए, जिनको 'गुजराल सिद्धांत' के नाम से जाना जाता है. जब जून 1975 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई तो वह उस वक्‍त सूचना और प्रसारण मंत्री थे. 1976-80 के दौरान उनको तत्‍काल सोवियत संघ (USSR) में राजदूत बनाकर भेजा गया. कहा जाता है कि इमरजेंसी के दौर में उन्‍होंने न्‍यूज बुलेटिन और अखबारों के संपादकीय को सेंसर करने से इनकार कर दिया था. इस कारण उनको मंत्री पद से हटा दिया गया. 30 नवंबर 2012 को इंद्र कुमार गुजराल का 92 साल की उम्र में निधन हो गया.