चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे (Chief Justice of India SA Bobde) ने खुद को निर्भया मामले में एक दोषी की याचिका पर सुनवाई से अलग कर लिया है. बता दें मंगलवार को सीजेआई शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली की तीन न्यायाधीशों जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर. भानुमति की पीठ ने मामले की आरोपी अक्षय के याचिका की सुनवाई की. अब इस मामले की सुनवाई के लिए बुधवार को नई बेंच गठित होगी.
(Photo - Chief Justice of India SA Bobde)
इससे पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने पुराने कोर्ट ऑर्डर शीट की ओर ध्यान दिलाया, जिसमें पीड़िता की ओर से जो बतौर वकील सीजेआई के भतीजे अर्जुन बोबडे अदालत में पेश हुए थे. ऐसे में सीजेआई ने खुद को इस मामले में अलग कर लिया. बुधवार सुबह दोषी की याचिका की सुनवाई के लिए गठित बेंच की जानकारी दी जाएगी. दोषी अक्षय ने इस मामले में उसके मृत्युदंड को बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले की समीक्षा करने की मांग की है.
तीन अन्य दोषियों की याचिका हुई खारिज - पिछले साल नौ जुलाई को शीर्ष अदालत ने तीन अन्य दोषियों-- 30 वर्षीय मुकेश , 23 वर्षीय पवन गुप्ता और 24 वर्षीय विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि 2017 के फैसले की समीक्षा के लिए कोई आधार नहीं बनाया गया है.
सोलह दिसंबर, 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और उस पर नृशंस हमला किया था और उसे चलती बस से बाहर फेंक दिया था. उसकी 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी. मामले के एक आरोपी राम सिंह ने यहां तिहाड़ जेल में कथित रूप से खुदकुशी कर ली. एक अन्य आरोपी किशोर था और उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था. उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था. शीर्ष अदालत ने 2017 में इस मामले के बाकी चार दोषियों को निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सुनाये गये मृत्युदंड को बरकरार रखा था.