आजादी के बााद देश को अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर सपूतों के सम्मान के लिहाज से देश का 71वां गणतंत्र दिवस बेहद खास रहा। अमर सपूतों की सौर्यता का गुणगान करने वाले राष्ट्रीय समर स्मारक पर पहली बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित की। 26 जनवरी 2020, भारतीय गणतंत्र दिवस का पर्व कई मायनों में ऐतिहासिक और यादगार रहा। इस मौके पर राष्ट्रीय समर स्मारक पर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्षों सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने, नैवी प्रमुख एडमिरल करमवीर सिंह और एयरफोर्स चीफ एयरमार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया के साथ मौजूद रहे। यह पहला मौका था जब राष्ट्रीय स्मारक पर प्रधानमंत्री की आगुवानी के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह व सीडीएस जनरल विपिन रावत एक साथ मौजू रहे।
इससे पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित किया करते थे। लेकिन 25 फरवरी 2019 को इंडिया गेट के सामने ही राष्ट्रीय समर स्मारक का निर्माण होने के बाद पहली बार इंडिया गेट की बजाए राष्ट्रीय समर स्मारक में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
राष्ट्रीय समर स्मारक का इतिहास और महत्व एक झलक में-
1- इंडिया गेट: प्रथम विश्व युद्ध तथा तृतीय आंग्ल-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीयों की याद में, वर्ष 1931 में दिल्ली में प्रतिष्ठित इंडिया गेट का निर्माण करवाया गया था। लगभग 83,000 शहीद भारतीयों में से 13,516 के नाम इंडिया गेट के चारों तरफ उत्कीर्ण हैं। नई दिल्ली आने वाले सभी पर्यटक इस स्मारक का भ्रमण अवश्य ही करते हैं।
2- अमर जवान ज्योति: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत के उपलक्ष्य में तथा अपने प्राणों का बलिदान करने वाले हमारे वीर सैनिकों के प्रति, राष्ट्र की श्रद्धांजलि के तौर पर जनवरी 1972 में इंडिया गेट की मेहराब के नीचे,अमर जवान ज्योति के साथ उल्टी राइफल पर हेलमेट स्थापित किया गया। तब से यथोचित अवसरों पर, अमर जवान ज्योति पर देशी-विदेशी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की जाती है।
3- आजादी के बाद के युद्धों में सशस्त्र सेनाओं की शहादतें : भारत की आजादी के बाद, भारतीय सशस्त्र सेनाओं को कई संघर्षों से जूझना पड़ा है और उन्होंने देश तथा विदेशों में कई ऑपरेशनों में भाग लिया है। सीमा पार से थोपे जा रहे छद्म युद्ध के कारण हमारा देश निरंतर आतंकवाद-रोधी ऑपरेशनों से जूझ रहा है जिनमें कर्तव्य पालन के दौरान बड़ी संख्या में हमारे सैनिक शहीद होते हैं। इन बलिदानों की याद में देश भर में कुछ स्मारक बनाए गए हैं लेकिन सशस्त्र सेनाओं के पुरूष और महिला सैनिकों के बलिदानों को समर्पित राष्ट्रीय स्तर पर कोई स्मारक अब तक मौजूद नहीं था। इस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर एक स्मारक की आवश्यकता महसूस की गई।
4- निर्माण : राष्ट्रीय समर स्मारक के निर्माण की आवश्यकता वर्ष 1961 से विचाराधीन थी। गहन विचार-विमर्श के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 07 अक्तूबर 2015 को इसके निर्माण को अनुमोदन प्रदान किया। नई दिल्ली में 'सी' हेक्सागन पर इंडिया गेट के पूर्व में स्थित छतरी के आस-पास के क्षेत्र को स्मारक निर्माण के लिए उपयुक्त पाया गया।
5- निर्माण की प्रक्रिया : स्मारक के लिए डिजाइन का चयन करने के लिए 2016-17 में एक वैश्विक प्रतियोगिता आयोजित की गई। वेबे डिजाइन लैब, (WeBe design Lab) चेन्नई के श्री योगेश चंद्रहासन इस वैश्विक प्रतियोगिता के विजेता बने और उन्हें परियोजना सलाहकार नियुक्त किया गया। सांविधिक प्राधिकरणों से आवश्यक स्वीकृति प्राप्त की गईं। एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई और मैसर्स एनसीसी लि. को संविदा सौंपी गई। रक्षा मंत्रालय की ओर से एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय (आई डी एस मुख्यालय) ने परियोजना को क्रियान्वित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 फरवरी 2019 को यह स्मारक राष्ट्र की ओर से सशस्त्र सेनाओं को समर्पित किया गया।
राष्ट्रीय समर स्मारक और इसका महत्व:
राष्ट्रीय समर स्मारक की आधिकारिक वेबसाइट की सूचना के अनुसार राष्ट्रीय समर स्मारक का महत्व इस प्रकार है-
1-युद्ध स्मारक : युद्ध स्मारक एक इमारत, स्मारक, प्रतिमा या कोई अन्य भवन होता है जो किसी युद्ध या विजय का उत्सव मनाने अथवा युद्ध में शहीद या घायल हुए सैनिकों के पुण्यस्मरण में निर्मित किया जाता है।एक युद्ध स्मारक,पर्यटकों को निर्मित स्थल के साथ सचेतन रूप से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है और फिर इसी के माध्यम से वे उस संस्था और व्यक्तियों से जुड़ जाते हैं जिनकी स्मृति में यह बनाया गया है।स्मारक गहन और भावप्रवण अनुभव प्रदान करता है और भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन जाता है।
2- स्मारक की आवश्यकता : स्वतंत्रता के बाद से, भारतीय सशस्त्र सेनाओं के 25,000 से ज्यादा सैनिकों ने देश की प्रभुसत्ता और अखंडता की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया। अतः राष्ट्रीय समर स्मारक,सशस्त्र सेनाओं के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्मारक हमारे नागरिकों में अपनत्व,उच्च नैतिक मूल्यों, बलिदान और राष्ट्र गौरव की भावना को सुदृढ़ करेगा। यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद विभिन्न संघर्षों, संयुक्त राष्ट्र ऑपरेशनों, मानवीय सहायता और आपदा राहत तथा बचाव ऑपरेशनों में हमारे सैनिकों के बलिदान का साक्षी रहेगा। यह स्मारक,राष्ट्र के प्रति नि:स्वार्थ सेवा के शानदार उदाहरण के तौर पर, हमारी सशस्त्र सेनाओं की उच्च सैन्य परंपराओं की मिसाल होगा।