सामने आई मानव तस्करी की दर्द भरी कहानी
आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ के राउरकेला से मानव तस्करी की एक दर्द भरी कहानी सामने आई है. यहां सुनीता नाम की एक महिला 8 साल बाद अपने घर वापस लौटी. जब सुनीता 10 साल की उम्र में घर से बाहर गई थी, तब उसके घर में मां, पापा, भाई और बहन सब थे लेकिन आज जब वो वापस आई, तो उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है और भाई घर के बाहर कहीं नौकरी कर रहा है. सुनीता की बहनों की शादी हो चुकी है.
10 साल की उम्र में सुनीता मानव तस्करी के दलालों के बहकावे में आ गई थीं. उन्होंने उस दौरान घर से बगावत की थी. इस दौरान उन्हें लोगों के घरों में काम भी करना पड़ा. शारीरिक और मानसिक तनाव के साथ जीवन काटते-काटते थकी हुई सुनीता कुछ ही दिनों में किसी भी तरह से अपने आप को छुड़ाने में समर्थ हुईं लेकिन दिमागी हालत कमजोर होने की वजह से अपने घर का पता और परिचय ठीक से बयां नहीं कर पाईं.
इसके बाद पूरी रेलवे स्टेशन में घूमते समय पुलिस और CWC की सहायता से उसे आश्रम स्कूल में भर्ती कराया गया. उसी समय सुनीता की मां पहले पैरालिसिस से पीड़ित हुई और दुनिया से चल बसी. लेकिन बहुत खोजने के बाद सुनीता को अपना घर मिल गया लेकिन अब घर में कोई भी नहीं है. आदिवासी बहुल इस इलाके से मानव तस्करी की कई घटनाएं सामने आती हैं. कभी लड़की, कभी मजदूर तो कभी नाबालिक बच्चे इसका शिकार होते रहते हैं. 2012 नवंबर 5 को अपने घर से निकलकर जाने वाली सुनीता, आज चांदनी बनकर नौकरी की तलाश कर रही है.