ब्रेन मैपिंग में ऐसे पढ़े जाते हैं अपराधियों और संदिग्धों के दिमाग - दिल्ली में शुरु हुई लैब

     अब अपराधियों (Criminal) और संदिग्धों के दिमाग पढ़ने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दिल्ली में बनी फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) में ब्रेन मेपिग लैब (Brain mapping Lab) शुरु हो गई है.


(Photo - दिल्ली में बनी फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी में ब्रेन मैपिग लैब शुरु हो गई है)



   दिल्ली पुलिस (Delhi Police) और देश की दूसरी एजेंसियों को ब्रेन मैपिंग टेस्ट (Brain mapping test) के लिए यहां-वहां चक्कर लगाने पड़ते थे. कई बार बिना ब्रेन मैपिंग टेस्ट के केस हल्के पड़ जाते थे. बहुत ज्यादा जरूरत होने पर दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता था. लेकिन अब अपराधियों (Criminal)और संदिग्धों के दिमाग पढ़ने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. दिल्ली में बनी फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) में ब्रेन मेपिग लैब शुरु हो गई है.

P3 100 वेव्स पर सेंसर पकड़ते हैं अपराधी का झूठ - एफएसएल रोहणी के प्रवक्ता और ब्रेन मेपिग टेस्ट लेब की अस्सिस्टेंट डायरेक्टर आशा पाहवा के मुताबिक इस तकनीक को ब्रेन फ्रिंगर तकनीक बोला जाता है. लैब में पुलिस संदिग्ध को लेकर आती है जिसके बाद हम खास उपकरणों को संदिग्ध के सर पर लगाते हैं. उसके दिमाग का अध्ययन किया जाता है. उसके दिमाग की तरंगो को पढ़ा जाता है. टेस्ट के दौरान अगर अपराधी या संदिग्ध क्राइम में संलिप्त है तो उसके दिमाग की तरंगों को मशीन में लगे सेंसर पकड़ लेगे और मशीन P3 100 वेव्स पर रिफलेक्ट करेगी.

घटना का वीडियो, फोटो दिखाकर ऐसे पकड़ा जाता है झूठ - अस्सिस्टेंट डायरेक्टर आशा पाहवा के अनुसार दिमाग के अंदर क्या चल रहा है इसे संदिग्ध के सर पर लगा हेड कैप केप्चर करता है. वही उस संदिग्ध को उस क्राइम से जुड़े वीडियो, फोटो, ऑडियो सामने लगे सिस्टम पर दिखाए और सुनाए जाते है. ब्रेन मेपिग टेस्ट में संदिग्ध को न तो कोई दवा पिलाई जाती है, न कोई इंजेक्शन लगाया जाता है. सिर्फ ब्रेन मेपिग टेस्ट लेब में एक कुर्सी पर बिठाया जाता है और उसके सर पर उपकरणों के जरिये सच और झूठ का पता लगाया जाता है. साथ ही एक अन्य मशीन पर तरंगे नजर आएगी और उनकी गतिविधियों को स्टडी किया जाएगा. जिससे यह पता चलेगा की जिस शख्स का ब्रेन मेपिग टेस्ट हो रहा है वो कितना सच बोल रहा है और क्या छुपा रहा है. 


ब्रेन मैपिंग से पहले ये तैयारी करते हैं डॉक्टर - अस्सिस्टेंट डायरेक्टर आशा पाहवा ने बताया कि जैसे ही पुलिस ब्रेन मेपिग टेस्ट के लिए केस लेकर आती है तो इस लैब में सबसे पहले FSL के एक्सपर्ट उस केस को स्टडी कर सवालो की फेहरिस्त तैयार करते हैं. फिर उस संदिग्ध का इंटरव्यू किया जाता है. टेस्ट होने के तीन हफ्तों में उसकी रिपोर्ट दिल्ली पुलिस या एजेंसियों को सौप दी जाएगी. एक ब्रेन मेपिग टेस्ट को करने में 7 से 8 दिन का वक्त लगता है.

   अब तक FSL रोहणी के पास ब्रेन मेपिग के चार केस चुके है जिनकी टेस्ट प्रकिया शुरू कर दी गई है. पहले में ब्रेन मेपिग टेस्ट के अभाव में ज्यादातर अपराधी पुलिस शिंकजे से बच जाते थे. पर अब दिल्ली में ये टेस्ट शुरू होने से दिल्ली पुलिस को क्राइम से जुड़े मामलो को जल्द सुलझाने में मदद मिलेगी. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजन भगत के मुताबिक दिल्ली में ब्रेन मेपिग सुविधा से हमे बहुत मदद मिलेगी. हालांकि कोई भी साईंटिफिक टेस्ट किसी भी संदिग्ध की अनुमति के बाद ही किया जा सकता है पर इससे पुलिस जांच सही और समय पर हो पाएगी.