मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे (CJI Justice Sharad Arvind Bobde) ने कहा है कि नागरिकता कानून पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई हिंसा रुकने के बाद की जाएगी.
(File Photo - सुप्रीम कोर्ट)
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद बोबडे (CJI Sharad Arvind Bobde) ने नागरिकता संशोधित कानून (Citizenship Amendment Act) को लेकर देश भर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि नागरिकता कानून पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई हिंसा रुकने के बाद की जाएगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका CAA के समर्थन में दायर की गई थीं. वकील विनीत ढांढा ने याचिका दायर करते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लेने की अपील की थी जो CAA का विरोध करते हुए देश की शांति भंग कर रहे हैं.
क्या कहा CJI ने - सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून को संवैधानिक करार देने के लिए एक याचिका दायर की गई थी. इस मसले पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे ने कहा, 'देश फिलहाल मुश्किल दौर से गुजर रहा है. ऐसे हालात में जरूरत इस बात की है कि पहले शांति लाई जाए. ऐसे में इस तरह की याचिकाओं पर सुनवाई करने से कोई फायदा नहीं है.'
चीफ जस्टिस ने इस दौरान ये भी कहा कि हम कैसे घोषित कर सकते हैं कि संसद द्वारा अधिनियम संवैधानिक है? हमेशा संवैधानिकता का अनुमान ही लगाया जा सकता है.
CAA के खिलाफ कई याचिकाएं - सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने के लिए सौ से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर केंद्र को नोटिस जारी कर दिया था. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और सूर्य कांत की पीठ ने केंद्र से कहा कि वे इस संबंध में दायर सभी याचिकाओं पर जनवरी के दूसरे हफ्ते तक जवाब दायर करें.
क्या कहता है संशोधित कानून - संशोधित नागरिकता कानून के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को अवैध शरणार्थी नही माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी.