दूध, अंडा, प्याज और तेल के बाद चीनी होगी महंगी

गुरुवार को ISMA ने जानकारी दी है कि दिसंबर 2019 के अंत में तक देश का कुल चीनी उत्पादन 77.9 लाख टन रहा.


 देश का चीनी उत्पादन, सितंबर में समाप्त हो रहे चालू विपणन वर्ष के पहले तीन महीनों में 30.22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ 77.9 लाख टन रहा. चीन उद्योग ने यह जानकारी देते हुए गुरुवार को कहा कि उत्पादन में गिरावट के बावजूद चीनी का मिल भाव मजबूत है और इससे मिलों को किसानों के गन्ना बकायों का भुगतान करने में आसानी हो रही है.

दिसंबर तक कुल उत्पादन 77.9 लाख टन रहा - इस्मा ने कहा कि चालू पेराई सत्र में दिसंबर 2019 के अंत में तक देश का कुल चीनी उत्पादन 77.9 लाख टन रहा. चीनी उत्पादन विपणन वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) की इसी अवधि में उत्पादन एक करोड़ 11.7 लाख टन था.


25 लाख टन ​चीनी निर्यात के लिए अनुबंध - भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) ने बाजार के आंकड़ों के हवाले से कहा कि हालांकि, चीनी निर्यात अच्छी गति से हो रहा है. इस्मा ने कहा कि चीनी मिलों ने अभी तक सरकार के MAEQ (अधिकतम स्वीकार्य निर्यात मात्रा कोटा या 'मैक्सिमम एडमिशेबल एक्सपोर्ट क्वांटिटी कोटा') के तहत 25 लाख टन के करीब चीनी के निर्यात के लिए अनुबंध किया है. इस्मा ने कहा कि चीनी की एक्स-मिल कीमतें उत्तरी भारत में 3,250-3,350 रुपये प्रति क्विंटल और दक्षिण भारत में 3,100-3,250 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में स्थिर बनी हुई हैं.


कम हुई हैं चीनी मिलों की संख्या - दिसंबर 2019 के अंत में कुल 137 चीनी मिलें चालू थीं, जबकि पिछले साल इस दौर में 189 मिलें चल रही थीं. चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन एक साल पहले के 31 लाख टन की तुलना में अभी तक बढ़कर 33.1 लाख टन हो गया है.

कर्नाटक में चीनी उत्पादन में भारी गिरावट - यहां अभी तक लगभग 119 मिलें परिचालन में हैं और चीनी की औसत रिकवरी 10.71 प्रतिशत है. लगभग 18 से 20 चीनी मिलें इथेनॉल उत्पादन के लिए 'बी' हैवी मोलेसेज शीरे को स्थानांतरित कर रही हैं. देश के तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य- कर्नाटक में चीनी उत्पादन भारी गिरावट के साथ 16.3 लाख टन रह गया जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में 21 लाख टन था.

     आंकड़ों से पता लगता है कि दिसंबर 2019 तक गुजरात में चीनी उत्पादन 2,65,000 टन, बिहार में 2,33,000 टन, पंजाब 1,60,000 टन, हरियाणा 1,35,000 टन, उत्तराखंड 1,06,000 टन, मध्य प्रदेश 1,00,000 टन, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना 96,000 टन और तमिलनाडु में 95,000 टन तक पहुंच गया है.