ईरान में लड़कियों को घर में हिजाब से छुटकारा दिलाने के लिए पिता से शादी का ये नियम बनाया गया.
वैश्विक महाशक्ति अमेरिका (America) के साथ इस समय ईरान (Iran) के युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. इस बीच ईरान के कट्टर इस्लामिक कायदे-कानूनों का भी जिक्र चल पड़ा है. इस मुल्क में कई ऐसे कानून हैं, जो सुनने में भी अजीब हैं. यहां ज्यादातर कानून औरतों पर लागू होते हैं, जिसमें गैर मर्दों से हाथ मिलाने पर मनाही से लेकर तलाक न ले सकने जैसे नियम भी हैं. दरअसल रूढ़िवादी शिया मुस्लिम देश ईरान में 1979 में इस्लामिक क्रांति हुई. इसके बाद यहां महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं.
जैसे यहां पर औरतें मैदान में जाकर फुटबॉल मैच नहीं देख सकती थीं. इस बारे में इस्लामिक धार्मिक गुरुओं का तर्क था कि औरतों को मर्दों वाले खेल देखने या वैसे माहौल से बचना चाहिए. हालांकि फुटबॉल प्रेमी सहर खोडयारी की खुदकुशी से ईरान को झुकना पड़ा. 29 साल की सहर को मैदान में बैठकर मैच देखने की इतनी चाह थी कि वह पुरुषों का भेष बनाकर खेल देखने पहुंच गईं. लेकिन सुरक्षा गार्ड्स ने शक की बिना पर उन्हें रोक लिया और कोर्ट ने उन्हें छह माह की कैद की सजा तय की. सदमे में सहर ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली. इसके बाद दुनियाभर में ईरान की इस नीति का जमकर विरोध हुआ. अब तेहरान के आजादी स्टेडियम में कंबोडिया के खिलाफ होने वाले वर्ल्ड कप 2022 क्वालिफायर मैच में 3500 महिलाओं को बैठ सकने की इजाजत मिली है.
यहां औरतों के गैर मर्दों से हाथ मिलाने पर मनाही है. अगर सार्वजनिक जगहों पर कोई महिला किसी पुरुष से हाथ मिलाती देखी जाए तो उस पर जुर्माना और कैद भी हो सकती है. यही वजह है कि जब ईरानी महिला टीम ने ग्लोबल चैलेंज टूर्नामेंट जीता था तो टीम के कोच ने अपनी खिलाड़ियों से एक क्लिपबोर्ड की मदद से हाथ मिलाया और उन्हें शाबाशी दी थी. इस देश के इस्लामिक धर्मगुरुओं का मानना है कि 12 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों की चेहरा या शरीर का कोई भी हिस्सा पिता, पति या भाई के अलावा कोई नहीं देख सकता. यहां हिजाब नहीं पहनने पर सख्त सजा का प्रावधान है. जब-तब इस पाबंदी का विरोध होता है लेकिन अब तक इसमें कोई रियायत नहीं बरती गई.
सबसे भयावह कानून यहां साल 2013 में पास हुआ था, जिसके तहत पिता अपनी गोद ली हुई बेटी से शादी कर सकता है. The Islamic Consultative Assembly जिसे मजलिस भी कहा जाता है, ने ये नियम बनाया. उनका तर्क था कि इससे 13 साल की लड़कियों को अपने पिता के ही सामने हिजाब पहनने से आजादी मिल जाएगी. ये खबर The Guardian में छपी थी. ईरान में 13 साल या इससे ज्यादा उम्र की गोद ली हुई बेटी को पिता के सामने हिजाब पहनना होता है. इसी तरह 15 साल से ऊपर के गोद लिए बेटे के सामने मां को हिजाब पहनना पड़ता है. मजलिस के अनुसार लड़कियों को घर में हिजाब से छुटकारा दिलाने के लिए पिता से शादी का ये नियम बनाया गया. ऐसी शादी के लिए पिता को 2 शर्तें पूरी करनी होती हैं, बेटी की उम्र 13 साल या इससे ज्यादा होनी चाहिए और पिता को ये तर्क देना होता है कि ये काम वो बेटी की भलाई के लिए कर रहा है. इस कानून का सोशल एक्टिविस्टों ने जमकर विरोध किया. हालांकि अब तक ये साफ नहीं हो सका कि ये नियम अब भी लागू है या इसमें कोई संशोधन किया गया.
यहां साल 1979 से ही औरतों से तलाक लेने के हक पर पाबंदी लगा दी गई. यानी पुरुषों को तो तलाक का अधिकार है लेकिन कोई पत्नी ये मांग नहीं कर सकती चाहे पति उसके साथ घरेलू हिंसा करे. यहां तक कि बीवियां को बाहर काम करने के लिए भी पति की इजाजत चाहिए होती है और इसे कंपनी में दिखाना होता है तभी उसे हायर किया जाता है.