हरियाणा - पाले की वजह से हो रहा फसलों को नुकसान

     हरियाणा के मैदानी इलाकों में भले ही इन दिनों धूप खिलने के बाद मौसम साफ हो गया हो, लेकिन सर्द रातों में पाला जमने के कारण किसानों के लिए परेशानियों का सबब बनना शुरू हो गया है. हिसार के ग्रामीण एरिया से जो तस्वीरें सामने आईं हैं, वो अपने आप में हैरान कर देने वाली है. फसलों की बात हो या फिर मैदान की बात. हिसार के ग्रामीण एरिया में पाला जमा नजर आया. 


(Photo - हिसार के खेतों में जमा पाला)



किसानों के लिए चिंता की बात - खेतों में सुबह के वक्त सफेद चादर बिछी नजर आ रही है. बच्चे अठखेलियां करते भी नजर आ रहे हैं. लेकिन किसानों के लिए ये परेशानी के सबब वाली तस्वीरें हैं. इन दिनों धूप खिलने के बाद मौसम साफ रहने लगा है. दिन के वक्त भी तापमान में उछाल देखने को मिल रहा है लेकिन बीती रात किसानों की फसलों के लिए नुकसान पहुंचाने वाला मंजर नजर आया. किसान रामजी लाल ने बताया कि आज खेतों में पाला जमा नजर आया. इस पाले के चलते सरसों की फसल की बात हो या दूसरी फसलों की बात, इन्हें नुकसान ही होगा. किसान रामजी लाल और महेंद्र सिंह ने पुराने समय का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले वर्ष भी ऐसा नहीं हुआ था, जो रात को नजर आया.


आखिर कैसे जमता है पाला - एचएयू के मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मदन लाल खिचड़ ने पाला जमने की प्रक्रिया के बारे में बताया कि सर्दी के मौसम में जब तापमान हिमांक पर या इससे नीचे चला जाता है तब वायु में उपस्थित जलवाष्प द्रव रूप में परिवर्तित न होकर सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं. इसे ही पाला पड़ना या बर्फ जमना कहा जाता है. दोपहर बाद हवा के न चलने तथा रात में आसमान साफ रहने पर पाला पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है.


   उन्होंने बताया कि राज्य में पाला आमतौर पर दिसंबर से फरवरी के महीने में ही पड़ने की संभावना बनी रहती है. पाले के कारण फसलों, सब्जियों व छोटे फलदार पौधों व नर्सरी पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है. क्योंकि फसलों और सब्जियों, छोटे फलदार तनों, फूलों, फलों में मौजूद द्रव बर्फ के रूप में जम जाता है और ये पौधों की कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं साथ ही पत्तियों को झुलसा देता है.


किसान ऐसे करें बचाव - मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मदन लाल खिचड़ ने किसानों को सुझाव देते हुए कहा कि पाले का हानिकारक प्रभाव अगेती सरसों, आलू, फलों और सब्जियों की नर्सरी तथा छोटे फलदार पौधों पर पड़ सकता है. इससे बचाव के लिए किसानों को पानी उपलब्ध हो तो सिंचाई करे. इसके अलावा खेत के किनारे पर और 15 से 20 फीट की दूरी के अंतराल पर जिस ओर से हवा आ रही है, रात के समय कूड़ा कचरा, या फिर सूखी घास को जलाकर धुआं करना चाहिए ताकि वातावरण का तापमान बढ़ सके. इससे पाले का हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसके अलावा सीमित क्षेत्र में लगे हुए फल और सब्जियों की नर्सरी को टाट, पॉलीथिन तथा भूसे से ढका जा सकता है.