जाते-जाते मोदी सरकार को इकोनॉमी की ये 7 अच्छी खबरें दे गया 2019 (विस्तृत रिपोर्ट)

     साल 2019 में देश की इकोनॉमी की हालत लगातार खराब रही, लेकिन अपने जाते-जाते यह साल मोदी सरकार के लिए कई अच्छी खबरें दे गया है. पिछले महीनों के कुछ आंकड़े वित्त मंत्री के चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकते हैं.



  • साल 2019 में देश की इकोनॉमी की हालत लगातार खराब रही

  • मोदी सरकार इकोनॉमी के मोर्चे पर विपक्ष के निशाने पर रही

  • 2019 जाते-जाते सरकार के लिए कई अच्छी खबरें देकर गया

  • 7 ऐसे आर्थ‍िक आंकड़े आए हैं जो पीएम-वित्त मंत्री को राहत देंगे

  • (File Photo - वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण)



     साल 2019 में इकोनॉमी की हालत खराब रही और इसे सुधारने तथा विपक्ष के हमलों के जवाब देने के प्रयास में सरकार और वित्त मंत्री के पसीने छूट गए. लगभग हर मोर्चे पर नकारात्मक खबरें आईं और सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रही. लेकिन 2019 जाते-जाते मोदी सरकार के लिए कई अच्छी खबरें दे गया है. पिछले महीनों के कुछ आंकड़े वित्त मंत्री के चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकते हैं.


1. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 7 महीने की ऊंचाई पर - सबसे बड़ी खबर है मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन में सुधार की. गुरुवार को आए निजी संस्था IHS Markit के सर्वे 'द निक्केई मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स में कहा गया है कि दिसंबर महीने में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन में ग्रोथ सात महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई है. यह सूचकांक दिसंबर महीने में बढ़कर 52.7 फीसदी पहुंच गया है. नवंबर में यह 51.2 फीसदी था. यह मई के बाद सबसे ऊंचा स्तर है. इसके 50 से ऊपर रहने का मतलब यह है कि मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट नहीं होगी बल्कि बढ़त होगी.


2. एफडीआई में 15 फीसदी की बढ़त - मोदी सरकार के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मोर्चे पर भी अच्छी खबर मिली है. वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर के दौरान एफडीआई प्रवाह 15 प्रतिशत बढ़कर 26 अरब डॉलर पर पहुंच गया. सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी छमाही में 22.66 अरब डॉलर का एफडीआई आया था.


3. जीएसटी संग्रह‍ फिर 1 लाख करोड़ के पार - वस्तु एवं सेवा कर (GST) के बारे में भी अच्छी खबर आई है. GST कलेक्शन लगातार दूसरे महीने 1 लाख करोड़ के पार पहुंचा है. दिसंबर महीने में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 3 हजार 184 करोड़ रुपये रहा. इससे पहले नवंबर में जीएसटी कलेक्शन कुल 1,03,492 करोड़ रुपये रहा था. वहीं अक्टूबर महीने में जीएसटी कलेक्शन 95,380 करोड़ रुपये और सितंबर में 91,916 करोड़ रुपये था.


4. ऑटो सेक्टर से राहत देने वाली खबर - करीब एक साल से मंदी की मार झेल रहे ऑटो सेक्टर के लिए भी दिसंबर में अच्छी खबर मिली है. दिसंबर में मारुति, महिंद्रा और एम.जी. मोटर्स की कारों की बिक्री में उछाल आया. साल के पहले दिन जारी आंकड़ों के अनुसार मारुति सुजुकी ने दिसंबर में अपनी बिक्री में 2.4 फीसदी की बढ़त हासिल की है. मारुति ने दिसंबर महीने में कुल 1,22,784 कारों की बिक्री की है. महिंद्रा की घरेलू वाहन बिक्री दिसंबर में एक प्रतिशत बढ़ी. एमजी मोटर इंडिया ने दिसंबर महीने में हेक्टर की 3,021 इकाइयों की खुदरा बिक्री की है.


5. एयर इंडिया की इंटरनेशनल रूट पर आमदनी बढ़ी - एयर इंडिया की हालत खराब है और इसके बंद कर देने तक की चेतावनी आती रही है, लेकिन नए साल की शुरुआत में इस एयरलाइंस के लिए अच्छी खबर आई है. जेट एयरवेज के कामकाज बंद होने का लाभ एयर इंडिया को मिला है. इस वित्त वर्ष के अप्रैल से लेकर नवंबर तक के आठ महीनों में इंटरनेशनल रूट पर एयर इंडिया के रेवेन्यू यानी आय में 20 फीसदी की बढ़त हुई है.


6. FASTag से टोल टैक्स कलेक्शन में हुई दोगुना बढ़त - देश के राजमार्गों पर FASTag से टोल टैक्स चुकाना 15 जनवरी से अनिवार्य हो जाएगा. एक अच्छी खबर यह है कि नवंबर की तुलना में दिसंबर महीने में FASTag से ट्रांजैक्शन करीब दोगुना हो गया है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर महीने में FASTag से कुल ट्रांजैक्शन 1256 करोड़ रुपये का हुआ, जबकि नवंबर महीने में यह 774 करोड़ रुपये का हुआ था. नवंबर महीने में 703 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ था.


7. UPI से लेनदेन 2 लाख करोड़ रुपये के पार - डिजिटल ट्रांजैक्शन के मोर्चे पर भी मोदी सरकार को बहुत अच्छी खबर मिली है. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI से दिसंबर महीने में लेन-देन बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है. यूपीआई की शुरुआत साल 2016 में हुई थी और पहली बार इससे लेन-देन 2 लाख करोड़ रुपये के पार हुआ है. दिसंबर महीने में UPI से कुल 2,02,506 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. नवंबर महीने में यूपीआई से 1.89 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन हुए थे. इस उपलब्ध‍ि का महत्व इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि लगभग इतना ही लेन-देन बैंकों के IMPS सिस्टम से होता है. दिसंबर में इंटर-बैंक इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर सिस्टम के इमिडिएट पेमेंट सर्विस से 2.1 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है.