राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में खुलासा हुआ है कि अखिला अशोकन उर्फ हदिया, पीएफआई और सत्य सारिणी कार्यकर्ताओं के निशाने पर थी.
(File Photo - अखिला अशोकन उर्फ हदिया)
देश के विभिन्न हिस्सों में नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों में सक्रिय संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. NIA के हवाले से खबर है कि पीएफआई के बैंक अकाउंट से देश के कई बड़े वकीलों को पैसे दिए गए. इनमें कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और इंदिरा जयसिंह का नाम भी शामिल है. इन आरोपों को कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सिरे से खारिज करते हुए इन्हें बकवास करार दिया. कपिल सिब्बल ने कहा कि पीएफआई मेरा क्लाइंट है. जो पैसा मुझे मिला है, वो हदिया केस में मिला है. जोकि 2017-2018 में हुआ था.
वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि वकीलों को जो फीस जाती है वह आधिकारिक तौर पर दी जाती है. उन्होंने कहा, 'मैंने कभी भी PFI के लिए केस नहीं लड़ा है हालांकि मुझे फिलहाल यह याद नहीं आ रहा है कि किसी मामले में अन्य पार्टी की तरफ इन्होंने मुझे भुगतान किया या नहीं.' दवे ने कहा अगर इन्होंने मुझे कोई भुगतान भी किया है, अगर किया है तो मुझे नहीं लगता कि पहले यह कोई बैन संस्था थी. दवे ने कहा कि यह सब मेरे लिए मायने नहीं रखता है, मैं अल्पसंख्यकों की हक के लिए अदालत में लड़ता रहूंगा. एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने पीएफआई से पैसा लेने की बात को खारिज करते हुए कहा है कि वह उनकी छवि खराब करने वालों और मीडिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगी.
हदिया केस - इस संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में खुलासा हुआ है कि कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और इंदिरा जयसिंह को क्रमशः 77 लाख, 11 लाख और 4 लाख की पेमेंट पीएफआई ने की थी. ये पेमेंट हदिया केस के लिए पीएफआई ने की थी. हालांकि एफआईए इस केस में खुद पार्टी नहीं था. दरअसल अखिला अशोकन उर्फ हदिया, पीएफआई और सत्य सारिणी कार्यकर्ताओं के निशाने पर थी. दरअसल अखिला ने इस्लाम को अपना लिया था और हदिया बन गई थी. उसने पीएफआई कार्यकर्ता शाफीन जहां से शादी की.
केरल की सत्य सारिणी एजुकेशनल और चैरिटेबल ट्रस्ट, पीएफआई के नियंत्रण वाली संस्था है. यह धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपनाने वाले लोगों को धार्मिक शिक्षा देने का काम करती है. इस पर धर्मांतरण कराने और आईएसआईएस से लिंक के मसले पर कई एजेंसियां इसके यहां कई बार छापे मार चुकी हैं. हदिया केस सुप्रीम कोर्ट तक गया था. इस केस का नाम था- 'शाफीन जहां Vs अशोकन केएम और अन्य.' इसमें याचिकाकर्ता शाफीन जहां की तरफ से इन वकीलों को ये पेमेंट पीएफआई ने की थी. ये पेमेंट हदिया केस के लिए पीएफआई ने की थी. हालांकि पीएफआई इस केस में खुद पार्टी नहीं थी.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला - पिछले साल आठ मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कथित लव जिहाद की शिकार केरल निवासी युवती हदिया को बड़ी राहत देते हुये शफीन जहां से उसकी शादी अमान्य घोषित करने का केरल हाई कोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया था. हालांकि इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने ये भी कहा था कि इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अपनी जांच जारी रख सकती है. उससे पहले शीर्ष अदालत ने 2018 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी को हादिया के धर्म परिवर्तन के मामले की जांच का निर्देश दिया था क्योंकि एजेंसी ने दावा किया था कि केरल में इस तरह का एक‘ तरीका’ सामने आ रहा है.