पाकिस्तान की ओर से रिहा किए गए आंध्र प्रदेश के 20 मछुआरों ने अपने अनुभव साझा किए हैं. इन मछुआरों का कहना है कि इनका 14 महीने का अनुभव नरक की तरह था. इन मछुआरों को पाकिस्तानी अथॉरिटी ने 6 जनवरी को रिहा किया था. इन्हें बाघा से दिल्ली लाया गया और फिर आंध्र प्रदेश के अमरावती में ले जाया गया.
(Photo - रिहा हुए 20 भारतीय मछुआरe)
अपना अनुभव साझा करते हुए मछुआरों ने कहा कि वह अनजाने में गुजरात तट पर पानी में पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गए. यहां वह मछलियां पकड़ रहे थे. एक मछुआरे ने कहा कि वह अब उस दौर को याद नहीं करना चाहता है. ये मछुआरे आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विजिआनागरम और ईस्ट गोदावरी जिले से थे. ये अनुमान है साउथ के राज्यों के हजारों मछुआरे अभी भी गुजरात तट पर काम कर रहे हैं. एक मछुआरे ने बताया कि हमें अपनी आजीविका कमाने के लिए अन्य स्थानों की ओर पलायन करना पड़ता है. अगर हमकों यहीं पर सुविधाएं मिल जाएं तो हम किसी दूसरी जगह जाने का रिस्क क्यों लेंगे.
मछुआरों ने केंद्र सरकार और आंध्र प्रदेश सरकार को भी धन्यवाद दिया. ये मछुआरे नवंबर 2018 में गायब हो गए थे. बाद में पता चला था कि इन्हें पाकिस्तान ने उठाया था और जेल में डाल दिया था. रिहा हुए इन मछुआरों को आंध्र प्रदेश सरकार ने पांच-पांच लाख रुपए की सहायता दी है. मछुआरों ने आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी से भी मुलाकात की. इसके अलावा आंध्र प्रदेश के 2 और मछुआरे पाकिस्तान की कैद में हैं जिनकी रिहाई के लिए राज्य सरकार लगातार केंद्र सरकार से बात कर रही है.