भारत में फिर दिखेगी चीतों की रफ्तार - नामीबिया से लाकर सुरक्षित क्षेत्रों में बसाया जाएगा

     भारत की सरजमीं से करीब 70 साल पहले चीते गायब हो गए। इसके बाद भारत ने एक बार फिर से इन्हें अपने यहां बसाने की कवायद शुरू कर दी है। साथ ही चीतों को बसाने के लिए सुरक्षित क्षेत्र को बहाल कर लिया गया है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने इस बात की जानकारी दी है। 



     भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक वाई वी झाला ने प्रवासी प्रजाति एवं वन्यजीव संधि पक्ष के 13 वें सम्मेलन के एक सत्र में कहा कि देश ऐसी स्थिति में है जहां गायब धरोहर को बहाल करना आर्थिक रूप से संभव है। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को यह परखने के लिए प्रयोग के आधार पर देश के उपयुक्त पर्यावास में अफ्रीकी चीता को लाने की इजाजत दी थी कि क्या वह भारतीय स्थिति के अनुकूल अपने आप को ढाल सकता है। भारतीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने यह कहते हुए अदालत से अफ्रीकी चीता को नामीबिया से लाने की इजाजत मांगी थी कि दुर्लभ भारतीय चीता देश से करीब करीब गायब हो चुका है।

   झाला ने वन्यजीव संरक्षण सोसायटी द्वारा आयोजित सत्र में कहा कि चीता के गायब होने की वजह ऐतिहासिक रूप से उसका शिकार किया जाना और जनसंख्या में वृद्धि रही है क्योंकि जनसंख्या बढ़ने की वजह से चीता का पर्यावास कृषिभूमि में बदलता चला गया।  उन्होंने कहा कि अब भारत ऐसी स्थिति में है जहां हमारी गायब धरोहर को बहाल करना आर्थिक रूप से संभव है। हमने सभी संरक्षित क्षेत्रों को बहाल कर दिया है जहां चीता लाए जा सकते हैं।