पिछली बार जो “आप” की थी, इस बार कांग्रेस की है और पिछली बार जो कांग्रेस के थे, इस बार “आप” के हैं और BJP ने अपने पारंपरिक वोटर को ध्यान में रखते हुए व्यापारी कैंडिडेट का दांव खेला है. Congress की छात्र संघ इकाई NSUI से राजनीति में आने वाली अलका लांबा ने केजरीवाल की “सत्ताधारी” पार्टी के मोह में AAP ज्वाइन की लेकिन साथ लंबा नहीं चला और 1984 दंगों को लेकर आम आदमी पार्टी के विधानसभा में लिए गए स्टैंड के दौरान ये तल्खियां इतनी बढ़ीं कि अलका लांबा ने बगावत कर दी अलग स्टैंड लिया और पार्टी से किनारा कर लिया.
वापस कांग्रेस में लौटी अलका लांबा को चांदनी चौक से टिकट मिला है. इस वक्त की बात करें तो इस सीट पर कोई मौजूदा एमएलए नहीं है क्योंकि अलका लांबा आप के टिकट पर जीतकर पिछले चुनावों में वहां से एमएलए बनी थीं, लिहाज़ा उनके पार्टी छोड़ने के बाद सीट खाली है. चांदनी चौक की सीट इस बार अपनी चटोरी गलियों की ही तरह चटखारे वाले गणित के साथ सबसे अहम सीट है. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते आए प्रहलाद सिंह साहनी इस बार आप के टिकट पर मैदान में हैं. यानी पाले बदले गए हैं, चेहरे वही हैं.
व्यापारियों के चांदनी चौक में व्यापारी वर्ग से आने वाले सुमन गुप्ता को बीजेपी ने टिकट दिया है. पिछली बार अलका लांबा से तकरीबन 18 हज़ार वोट से हार चुके हैं. सुमन गुप्ता को फिर से टिकट देने का फैसला बीजेपी के लिए काम कर भी सकता है.
चांदनी चौक में इस बार दो पहलू हैं. शाहजहानाबाद रिडेवलेपमेंट प्लान को अमल में लाने यानी चांदनी चौक की सूरत बदलने के चक्कर में लालकिले से फतेहपुरी मस्जिद वाली पूरी सड़क पर खुदाई हो चुकी है. महीनों से बदहाल ये सड़क व्यापारियों और पर्यटकों के लिए मुसीबत बन चुकी है क्योंकि यहां चलना मुहाल है. लिहाज़ा ग्राहक दूर हैं शादियों के सीज़न में भी व्यापारी नुकसान में चल रहे हैं. ऐसे में व्यापारियों में सरकार से नाराज़गी है, वहां रहने वाला मध्यम वर्ग भी आम आदमी पार्टी से खास खुश नहीं है. लेकिन दूसरा पहलू है – आम आदमी, गरीब तबके और मुस्लिम बहुल सीट का. ये तमाम पहलू फिलहाल आम आदमी पार्टी के साथ खड़े हैं. चटखारे और मुगलकाल वाली पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक इस बार किस पार्टी का आंगन रोशन करेगा, ये भविष्यवाणी 11 फरवरी से पहले कोई राजनीतिक पंडित नहीं कर पाएगा.