शाहीन बाग से दरी हटी - चौकी पर बैठकर प्रदर्शन कर रही हैं महिलाएं

     नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीनबाग में प्रदर्शनकारी महिलाएं मंगलवार को दरी के बजाय लकड़ी के तख्तों से बने बेड पर बैठी नजर आईं। पुलिस के साथ वार्ता विफल रहने के बाद महिलाओं ने दिनभर 'इंकलाब जिंदाबाद', 'हमें चाहिए आजादी', 'सीएए से आजादी', 'एनआरसी से आजादी' के नारे लगाए।



     प्रदर्शन में महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में पुरुष भी मौजूद रहे। जमकर नारेबाजी हुई। इस दौरान महिलाओं के एक बड़े गुट ने प्रदर्शन स्थल से हटकर पुलिस से वार्ता किए जाने का विरोध किया। शाहीनबाग में लगभग तीन महीने चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाएं अभी तक यहां सड़क पर दरी बिछाकर बैठती थीं, लेकिन अब महिला प्रदर्शनकारियों के बैठने के लिए यहां लकड़ी के तख्तों से बने करीब 60 से ज्यादा चौकीनुमा बेड लगाए गए हैं। प्रत्येक बेड पर 7-8 महिलाएं बैठी नजर आईं।


   दिल्ली का यह पहला विरोध प्रदर्शन है, जहां प्रदर्शनकारियों के बैठने के लिए 60 बेड लगाए गए हैं। सड़क के बीचो-बीच रखे तख्तों के इन बेड के बारे में पूछे जाने पर इस प्रदर्शन में शामिल परवेज ने बताया कि ये बेड चंदे के पैसों से बनवाए गए हैं। इनमें से कुछ बेड तो स्थानीय लोगों के हैं, जो यहां दे गए हैं।


   प्रदर्शनकारी महिलाओं को खाना बांट रहे फारुख ने कहा कि ज्यादातर महिलाएं दिनभर के प्रदर्शन के बाद रात को भी यहीं सड़क पर ही सो जाती हैं। इन महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यहां ये बेड लगाए गए हैं। हमलोग इनके सोने के लिए बिस्तर का भी इंतजाम कर रहे हैं।