वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (6 मार्च) को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर पलटवार करते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में 'स्व-नियुक्त सक्षम डॉक्टरों ने तीन बैंकों का संकट हल करने के बजाय उनकी समस्याएं और बढ़ा दी थीं। इससे पहले चिदंबरम ने येस बैंक के संकट पर कहा कि भाजपा के शासनकाल में येस बैंक का ऋण खाता पांच गुना बढ़ गया।
सीतारमण ने जुलाई, 2014 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक के संकट और आईडीबीआई बैंक में समस्या के लिए चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराया। आईडीबीआई बैंक में 2006 में लगभग बंद होने जा रहे यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का विलय हुआ था। कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार मई, 2004 में सत्ता में आई थी। चिदंबरम तब वित्त मंत्री थे।
रिजर्व बैंक द्वारा येस बैंक के निदेशक मंडल को भंग किए जाने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि संकट में फंसे येस बैंक द्वारा कई बड़ी कंपनियों को 2014 से काफी पहले कर्ज दिया गया था। यह सब पहले से ही सार्वजनिक हैं। ''मैं इसमें ग्राहक गोपनीयता का उल्लंघन नहीं कर रही हूं -- इनमें अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, डीएचएफएल, आईएलएफएस, वोडाफोन उन संकटग्रस्त कंपनियों में शामिल हैं, जिन्हें येस बैंक ने कर्ज दिया था।"
उन्होंने कहा कि वह इन नामों का खुलासा इसलिए कर रही हैं क्योंकि विपक्षी दल उंगली उठा रहे हैं। सीतारमण ने इसके साथ ही यह भी कहा कि यह सब सार्वजनिक है और वह ग्राहकों की निजता का उल्लंघन नहीं कर रही हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ''मैं यहां पुरानी कहानियां बताने नहीं आई हूं। 2004-14 के दौरान सत्ता में सरकार ने जैसे काम किया उसकी वजह से बैंकिंग प्रणाली के समक्ष कई गंभीर चुनौतियां हैं। उनपर दोष मढ़ने की मेरे पास वजह है।"
सीतारमण ने संप्रग एक के दौरान चिदंबरम के दो बैंकों के संकट से निपटने के तरीके पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उस समय स्व-नियुक्त सक्षम डॉक्टर सत्ता में थे जिन्होंने लगभग डूब चुके यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का 2006 में जबरन आईडीबीआई में विलय कर दिया था। सीतारमण ने कहा कि आज हमारे सामने आईडीबीआई की सेहत को दुरुस्त करने में समस्या आ रही है। मैं आपको यह उदाहरण बता रही हूं कि कैसे स्वयंभू स्व-नियुक्त सक्षम डॉक्टरों ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का आईडीबीआई में विलय किया। उन्होंने कहा कि आज यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक की वजह से आईडीबीआई बैठ चुका है। यह उन लोगों के इलाज की वजह से है जो आज बोल रहे हैं।