(एक विस्तृत रिपोर्ट)
इंडियन आर्मी की सहयोगी सेवा में काम कर रहे डॉक्टर विकास यादव ने कोरोना जांच की ऐसी विधि विकसित की है, जिसके बाद कोरोना की जांच के लिए देश-दुनिया में पीपीई किट की जरूरत बहुत कम रह जायेगी। इस विधि में वाहन के अंदर बैठे व्यक्ति की अंदर ही जांच करके संभावित कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा सकेगा। ऐसा करते हुए उसके संपर्क में आने की कोई संभावना नहीं रहेगी, और जांच कर्ता के पीपीई किट पहनने की भी कोई आवश्यकता नहीं रहेगी।
सामान्य N-95 मास्क या तीन स्तरीय मास्क स्वेच्छानुसार लगाया जा सकता है। यह विधि बहुत तेजी से काम करती है और इससे बहुत कम समय में अधिक लोगों की जांच कर सकती है। डॉक्टर ने इस प्रोजेक्ट को 'तिरंगा' (TIRANGA- टोटल इंडिया रिमोट एनालिसिस निरोग्य प्रोजेक्ट) नाम दिया है। वे स्वयं भी इस विधि का सफलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं और केरल जैसे राज्य ने इसे अपने यहां उपयोग करने पर सहमति भी जता दी है।
तिरंगा-1 स्टेज में होता है ये काम - डॉक्टर विकास यादव ने बताया कि उन्होंने प्रोजेक्ट को तीन श्रेणी में विभाजित किया है। पहली श्रेणी को तिरंगा-1 का नाम दिया गया है। इस स्टेज में विशेष तरीके से डिजाइन किए गए एक वाहन के अंदर एक डॉक्टर या एक सामान्य व्यक्ति बैठा होता है।
वह जिस व्यक्ति के अंदर संक्रमण की जांच करनी होती है, तो उसे वाहन के सामने लगे एक स्पीकर के सामने आना होता है। स्पीकर के पास ही एक चेक लिस्ट लगी होती है। चेक लिस्ट के एक-एक सवालों का जवाब देते हुए व्यक्ति अपनी बीमारी के इतिहास और मौजूदा शारीरिक स्थिति की जानकारी वाहन के अंदर बैठे व्यक्ति को स्पीकर में बोलकर देता है। वाहन के अंदर बैठा व्यक्ति एक यंत्र को दबाकर सामने खड़े व्यक्ति के शरीर का तापमान भी चेक कर सकता है। इस स्टेज में यह तय किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो सकता है या नहीं।
अगर व्यक्ति में कोरोना संक्रमण का एक भी संभावित लक्षण पाया जाता है, तब उसे स्टेज-2 के लिए भेज दिया जाता है, जहां सैंपल लेकर टेस्ट के जरिए संभावना की पुष्टि की जाती है। इस विधि में वाहन में बैठे डॉक्टर को संक्रमण संभावित व्यक्ति को छूने की बिलकुल आवश्यकता नहीं रहती। उसके बाहर से किसी संक्रमण के संपर्क में आने की भी कोई संभावना नहीं रहती। इस प्रकार उसे पीपीई किट पहनने या N-95 मास्क पहनने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती।
इस विधि से भारी संख्या में क्वारंटीन किए गए लोगों की जांच में कई लोगों को नहीं लगना पड़ेता और किसी के पीपीई किट पहनने की आवश्यकता नहीं रहती। मौजूदा स्थिति में लोगों को छूने की जरूरत पड़ती है, जिसके चलते डॉक्टर/नर्स को पीपीई किट पहननी पड़ती है, जबकि इस विधि में यह पूरी तरह से खत्म किया जा सकेगा।
दूसरे स्टेज में सैंपल का काम - पहले स्टेज का काम प्रशिक्षित डॉक्टर के बिना भी किया जा सकता है, लेकिन दूसरे स्टेज में डॉक्टर का होना आवश्यक है। इस स्टेज में भी वाहन के अंदर बैठे-बैठे डॉक्टर संक्रमण संभावित व्यक्ति के सैंपल ले सकते हैं और स्वयं को संक्रमण से बचा सकते हैं। इसके लिए वाहन में एक छोटी जगह बनाई जाती है, जहां से स्टेथोस्कोप को बाहर निकालकर व्यक्ति की जांच की जा सकती है। इसी जगह से पारदर्शी प्लास्टिक के माध्यम से व्यक्ति का ब्लड सैंपल लिया जा सकता है।