होम्योपैथी विश्वविद्यालय में 265 वीं हैनीमेन जयन्ती सादगीपूर्ण तरीके से मनाई गई

     होम्योपैथी के जनक डॉ. हैनीमेन की 265वीं जयंती दिनांक 10 अप्रैल 2020 को होम्योपैथी विश्वविद्यालय, सायपुरा सांगानेर के प्रांगण में मनाई गई। होम्योपैथी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. तारकेश्वर जैन ने बताया की राज्य में कोरोना वाईरस महामारी को देखते हुये हैनीमेन जयन्ती का आयोजन बहुत ही सादगी से किया गया एवं इसमें विश्वविद्यालय के मुख्य अधिकारी जिनमें विश्वविद्यालय अध्यक्ष-डॉ. सी. नायक, रजिस्ट्रार-डॉ. तारकेश्वर जैन, विश्वविद्यालय के संगठक कॉलेज डॉ. एम.पी.के. होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, डॉ. अतुल कुमार सिंह एवं विश्वविद्यालय के सी.ई., डॉ. श्रीमोहन शर्मा मौजुद थे। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुये कार्यक्रम में सोशल डिस्टेन्सिंग काभी ख्याल रखा गया।


     होम्योपैथी के जनक डॉ. हैनीमेन का जन्म सन् 1755 में जर्मनी में एक छोटे से गांव के एक गरीब परिवार में हुआ था। इसके बावजूद अपने तीक्ष्ण बुद्विबल, लग्न एवं अथक प्रयासो से वे एलोपैथी के एम.डी. उपाधि धारक चिकित्सक बने। डॉ. हैनीमैन ऐलोपैथी के दुष्प्रभावों एवं दर्दनाक तरीकों से विचलित थे अतः ऐलोपैथी चिकित्सा छोड़कर अपनी आजीविका चलाने हेतु भाषानुवाद का कार्य करने लगे। एक बार एक लेख का अनुवाद करते समय ही उनकी तीक्ष्ण दृष्टिकोण एवं वैज्ञानिक सोच ने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को जन्म दिया एवं कई वर्षों के निरन्तर प्रयोगों से उन्होने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की स्थापना की। डॉ. हैनीमेन को आज भी विश्व भर में महान विद्ववान,भाषाविद् एवं प्रख्यात वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है।