भारतीय सैनिकों पर 15 जून को घात लगा कर किए गए हमले के बाद चीन सरकार और चीनी मिलिट्री लीडरशिप ने तत्काल बयान जारी कर बीजिंग के उन दावों पर जोर दिया जिनमें वो पूरे गलवान घाटी क्षेत्र को अपना बताता है. चीन के विदेश मंत्रालय और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की पश्चिमी कमान की ओर से दिए गए अलग-अलग बयानों से पता चलता है कि चीन की कोशिश LAC के पास गलवान और श्योक नदियों के संगम वाले पूरे क्षेत्र पर कब्जे की थी
(फाइल फोटो - गलवान घाटी के इसी इलाके में 15 जून को हुई थी हिंसक झड़प)
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान झाओ ने ट्विटर पर लिखा- “गलवान घाटी LAC की चीन वाली दिशा में चीन-भारत सीमा के पश्चिमी सेक्शन पर स्थित है. कई वर्षों से चीनी बॉर्डर सैनिक इस क्षेत्र में पेट्रोलिंग कर रहे हैं और ड्यूटी दे रहे हैं.” लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक कुछ पुराने चीनी नक्शों में असल में स्वीकार किया गया है कि घाटी का दक्षिण-पश्चिमी हिस्सा, भारतीय क्षेत्र के भीतर आता है, जो कि LAC के करीब है.
अमेरिका स्थित एम टेलर फ्रावेल चीन मामलों के प्रसिद्ध एक्सपर्ट होने के साथ MIT सिक्योरिटी स्टडीज प्रोग्राम के डायरेक्टर हैं. फ्रावेल ने पुराने चीनी नक्शों को दिखाते हुए कहा कि चीन का घाटी पर दावा गलवान और श्योक नदियों के संगम से पहले ही खत्म हो जाता है. फ्रावेल ने नक्शे के साथ ट्वीट में लिखा- "1962 के युद्ध के चीनी इतिहास से जुड़ा ये नक्शा भी दिखाता है कि चीन का गलवान घाटी पर दावा गलवान और श्योक के मिलने से कुछ पहले समाप्त हो जाता है."