चूहों के बाद अब बंदरों में भी कोरोना वायरस की ताकत का पता लगाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने शोध की तैयारी कर ली है। इसके लिए संबंधित विकास विभाग से अनुमति लेने के बाद वैज्ञानिक जल्द ही बंदरों के तीन अलग-अलग समूह में यह अध्ययन शुरू कर सकेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि इस अध्ययन के परिणाम के आने के बाद कोरोना वायरस की दवा और वैक्सीन दोनों के ट्रायल में बड़ी मदद मिल सकेगी। जानकारी के अनुसार, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अधीन पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में यह अध्ययन किया जाएगा।
हाल ही में चूहों की तीन अलग-अलग प्रजाति पर भी यह यहां के वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर यह पता लगाया था कि इंसानों की तरह चूहों में भी कोरोना वायरस शुरुआती पांच से सात दिन के अंदर असर दिखाना शुरू कर देता है। 8 जून को अमर उजाला ने अपने पाठकों तक यह अध्ययन भी पहुंचाया था। एनआईवी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा बताया कि इंसानों के सैंपल के जरिए कोरोना वायरस की स्थिति, असर इत्यादि का पता लगाया जा रहा है, लेकिन इस वायरस का तोड़ निकालने के लिए हर छोटी से छोटी जानकारी मिलना बेहद जरूरी है।
इसलिए देश के पहले तीन मरीजों से कोरोना वायरस को आइसोलेट करने के बाद लैब में ही इसके कई स्वरूप तैयार किए गए थे, जिनका इस्तेमाल अब अन्य अध्ययनों में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दवा और वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया में ट्रायल चल रहे हैं। भारत में जब चूहों और बंदरों पर अध्ययन पूरा होगा तो वैक्सीन व दवा ट्रायल में अध्ययनों से काफी मदद मिल सकेगी। इस डाटा के आधार पर वे कम समय में ज्यादा आसानी से निष्कर्ष पर पहुंच सकेंगे। उन्होंने बताया कि दो से तीन दर्जन बंदरों की अनुमति उन्हें मिली है।