मानूसन के दौरान देश में कुछ हिस्सों में बारिश में कमी का रुझान है। यह कमी सबसे ज्यादा गंगा के तटीय मैदानी क्षेत्रों तथा पश्चिमा घाट के क्षेत्रों में देखी गई है। इसके पीछे कारण यह बताया गया है कि उत्तरी गोलार्ध में मानव जनित एयरोसोल बढ़ने से यह प्रभाव पड़ रहा है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा देश में जलवायु में आ रहे बदलावों पर जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1951-2015 के बीच के मानसूनी बारिश के आंकडों से यह संकेत मिलते हैं। गंगा के तटीय मैदान में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक का हिस्सा आता है। तटीय क्षेत्र करीब 25 लाख किलोमीटर के करीब है तथा कृषि के लिहाज से यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में मानसूनी बारिश में कमी का रुझान चिंताजनक है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में स्थानीयकृत भारी बारिश की आवृत्ति में इजाफा हो रहा है। इसका तात्पर्य यह है कि स्थानीय मौसमी स्थितियों के कारण होने वाली बारिश बढ़ रही है। इसकी मुख्य वजह बढ़ता शहरीकरण, भूमि का बदलता उपयोग, वायुमंडल में धूल कणों (एयरोसोल) का बढ़ना इसकी प्रमुख वजह हैं।
रिपोर्ट के अनुसार कुछ क्षेत्रों में मानसून की बारिश में कमी के बावजूद देश में वार्षिक बारिश में बढ़ोत्तरी के संकेत मिलते हैं। इसके साथ ही भारी बारिश की आवृत्ति की घटनाओं में भी तेजी से बढ़ोत्तरी होगी। जबकि हल्की बारिश लगातार कम हो रही है।