झारखंड को हॉकी के नेशनल गेम्स में गोल्ड दिलानेवाली आदिवासी कोच खेतों में कर रहीं मजदूरी

     पूरी दुनिया आज आदिवासी दिवस मना रही है, लेकिन आदिवासी बहुल झारखंड राज्य में ही इस समुदाय की प्रतिभाएं उपेक्षा की शिकार हो रहीं। हालत यह है कि राज्य को स्वर्ण सहित कई पदक दिला चुकी एक आदिवासी हॉकी कोच खेतों में मजदूरी कर पेट पालने को मजबूर है। 


     सिमडेगा के बोलबा प्रखंड स्थित कुंदुरमुंडा गांव की तारिणी कुमारी कहती हैं कि मेरे लिए आदिवासी दिवस भी किसी आम दिन जैसा ही है। राज्य के लिए कड़ी मेहनत से अर्जित इतनी उपलब्धियों के बाद भी मुझे दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। 



     तारिणी की कोचिंग में 2018 में 8वीं हॉकी इंडिया जूनियर वीमेंस नेशनल चैंपियनशिप में झारखंड की महिला टीम ने पहली बार स्वर्ण पदक जीता था। झारखंड ने फाइनल में शुरुआत में एक गोल से पिछड़ने के बावजूद हरियाणा जैसी मजबूत टीम को 4-2 के अंतर से पीट दिया था। इस उपलब्धि के लिए तारिणी को हॉकी झारखंड की ओर से श्रेष्ठ कोच के सम्मान से सम्मानित किया गया। तारिणी के प्रशिक्षण में 2017-18 में राष्ट्रीय विद्यालयीय प्रतियोगिता में झारखंड ने कांस्य पदक जीता था। यही नहीं अंडर 21 टीम के साथ तारिणी बतौर मैनेजर जुड़ीं और खेलो इंडिया प्रतियोगिता में टीम ने रजत पदक जीता।


     तारिणी ने 2001-02 में बतौर हॉकी खिलाड़ी करियर की शुरुआत की। तीन-चार सालों में ही उन्होंने झारखंड के लिए सब जूनियर, राष्ट्रीय स्कूल और राष्ट्रीय नेहरू हॉकी प्रतियोगिता में पदक जीते। 2004 में भारतीय कैंप में चयन हुआ। सात-आठ सालों तक उन्होंने मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान जापान में एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता भी हिस्सा लिया। चार बार ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में पदक जीत चुकीं तारिणी ने हॉकी इंडिया की जूनियर और सीनियर नेशनल चैंपियशिप में भी कई पदक जीते हैं।