कांग्रेस पार्टी में अच्छी खासी उथल-पुथल

     कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में आमूलचूल बदलाव की मांग की है, जिसके बाद पार्टी में अच्छी खासी उथल-पुथल है. हालांकि, कांग्रेस में बगावत का बिगुल फूंकने वाले नेता अलग-अलग समय पर पार्टी अध्यक्ष के लेफ्टिनेंट की भूमिका में रह चुके है.



     इसके बावजूद क्या मजबूरी थी कि पार्टी के दिग्गज नेताओं को सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखनी पड़ी है? कांग्रेस के एक धड़े का मानना है कि पार्टी के अंदर वरिष्ठ नेताओं का एक बड़ा तबका है, जिन्हें पार्टी से ज्यादा अपने भविष्य की चिंता सता रही है.


     इन कांग्रेसी दिग्गजों की 12 तुगलक लेन (राहुल गांधी का आवास) में पकड़ ना होने के चलते पार्टी में क्या चल रहा है, इसका ना तो पता चलता है और ना ही इन दिग्गज नेताओं से कोई राजनीतिक सलाह मशवरा इन दिनों किया जाता है. ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाने और संगठन में अपना दबदबा बरकरार रखने के तहत चिट्ठी लिखी गई है.


     सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में गुलाम नबी आजाद का नाम भी शामिल है. आजाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं, लेकिन पार्टी आलाकमान उनकी परफॉर्मेंस से बहुत खुश नहीं है. उनका राज्यसभा का कार्यकाल अगले साल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है. ऐसे में उन्हें राज्यसभा में एंट्री मिलनी लगभग नामुमकिन सी लग रही है. वहीं, एक वक्त था जब अंबिका सोनी का कार्यकाल खत्म होने से एक साल पहले ही पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया था और वह 6 साल तक अपने पद पर बनी रहीं थीं.