खरीद के बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ोतरी की सार्थकता नहीं – रामपाल जाट 

     जयपुर, रामपाल जाट (अध्यक्ष) किसान महापंचायत ने कहा कि रबी की 6 उपजों में न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर केंद्र सरकार द्वारा स्वयं की पीठ थपथपाने की सार्थकता तब ही है जब वह इन उपजों की दाने-दाने कि खरीद ग्राम स्तर पर वर्षभर चालू रखेI प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने की घोषणा तब ही पूरी हो सकेगी I यह सही है कि गेंहू में 50 रुपये, जौ में 75 रुपये, सरसों एवं चना में 225 रुपये, मसूर में 300 रुपये तथा कुसुम में 112 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है I यह अलग तथ्य है कि 1 वर्ष में खेती के काम आने वाले डीजल में 1 लिटर पर ही 15 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हुई है जबकि 1 किलों गेहूं कि बढ़ोतरी 50 पैसे हुई है I


     पिछले वर्ष की लागत के आधार पर यह बढ़ोतरी सम्पूर्ण लागत (सी-2) के डेढ़ गुणा से गेंहू पर 162.5 रुपये, जौ पर 420.5 रुपये, चना पर 934.5 रुपये, सरसों पर 451.5 रुपये, मसूर पर 1329 रुपये तथा कुसुम पर 1562.5 रुपये कम है I एक खास बात यह भी है कि इनमे से चना, सरसों, मसूर, कुसुम की 4 उपजों की कुल उत्पादन में से 75% उपज को तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की परिधि से बाहर किया हुआ है I किसानो को भूल-भुलैया में रखने के लिए 2018 में आरम्भ इस योजना का नाम प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान रखा हुआ है I आश्चर्यचकित यह है कि किसानो की आय पर कुल्हाड़ी चलाने को भी संरक्षण बताया जा रहा है I 


     दूसरी ओर खरीफ फसलों में जिन 16 उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है उनकी खरीद नहीं होने के कारण किसानो को अपना बाजरा 1100 रुपये प्रति क्विंटल से कम दाम्पों पर बेचना पड़ रहा है जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 2150 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया हुआ है I यकः स्थिति तो तब है जब देश का आधे से अधिक बाजरे का उत्पादन राजस्थान में होता है I इस वर्ष भी राजस्थान में 43,64,458 मेट्रिक टन बाजरा उत्पादन का अनुमान है I यही स्थिति मक्का, मूंग, उड़द जैसी उपजों की है I जिनको 1 क्विंटल पर 3000 रुपये तक घाटा उठा कर बेचने को विवश होना पड़ रहा है I