जनप्रतिनिधियों की बाड़ेबंदी हमारा दुर्भाग्य

From - P.C.BHANDARI (Advocte) 


     कुछ सालों से राजनीतिक पार्टियां का एक ही मकसद रह गया है और वो है सत्ता प्राप्त करना. इसलिए वो टिकट ऐसे उम्मीदवारों को देते हैं जो किसी भी तरह से चुनाव जीत सकें. चाहे वो अपराधी हो, चरित्रहीन हो या पैसे वाला हो. तो सोचिए वो कैसे ईमानदारी से प्रदेश की सेवा करेगा? चूंकि गलत जनप्रतिनिधियों को हमने चुनकर भेजा है, इसलिए उनकी बाड़ेबंदी की जाती है. क्योंकि पार्टियों को भरोसा नही होता है कि कब वो अपने स्वार्थ के लिए, लालच के लिए दूसरी पार्टी में चला जाएगा।


    जब पार्टियों को उन पर भरोसा नहीं है, तो वो प्रदेश की सेवा क्यों करेंगे? इन जनप्रतिनिधियों का एक ही उद्देश्य है कि पैसे से या ताकत से या गुंडागर्दी से टिकट लेकर, कार्यकर्ताओं को लालच देकर चुनाव जीतकर पैसा कमाने का ही काम करते हैं. उन्हें जनता से कोई मतलब नहीं है। हम अपनी बहन, बेटी की शादी के लिए चरित्रवान, ईमानदार, खानदान और शिक्षा सब देखकर बहन, बेटी उसको सोंपते है. लेकिन देश - प्रदेश बिना सोचे समझे ऐसे जनप्रतिनिधियों को सोंप देते हैं जो सिर्फ खुद का फायदा देखते हैं. इसीलिए देश-प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है और देश-प्रदेश बर्बाद होते जा रहे हैं।


     इसलिए मेरा निवेदन है कि पार्टी को नहीं अच्छे, ईमानदार, चरित्रवान और पढ़े-लिखे लोगों को वोट देकर जिताकर भेजिए. इसलिए किसी राजनीतिक पार्टी के भक्त मत बनो देश के भक्त बनो जैसे ही हमलोग अच्छे, ईमानदार, चरित्रवान और पढ़े-लिखे लोगों को वोट दोगे तो ये राजनीतिक पार्टियां भी ऐसे ही लोगों को टिकिट देंगे।