नगर निगम चुनाव परिणाम में हुए उलटफेर से सबक लेंवे दोनों प्रमुख दल

संयुक्त अभिभावक संघ का दावा "स्कूल फीस मुद्दे पर अभिभावकों का आक्रोश दोनों दलों ने भोगा" 


     जयपुर। निगम चुनाव परिणाम आने के बाद संयुक्त अभिभावक संघ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को निगम चुनाव परिणाम से सबक लेते हुए आम जनता से जुड़े मुद्दों पर कार्य करना चाहिए। इस चुनाव में जिस प्रकार निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के 1 से 100 वोटों पर जीत हुई है उससे राजनीतिक दलों को समझना चाहिए कि जनता मुद्दों पर आक्रोशित है अगर अब भी राजनीतिक दलों ने आमजन के मुद्दों पर काम नही किया तो राजनीतिक दलों को इससे भी गंभीर परिणाम भोगने पड़ेंगे।



     संघ प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू और संजय गोयल ने बताया कि चुनाव से पूर्व संयुक्त अभिभावक संघ ने स्कूल फीस मुद्दे पर पिछले 6 महीनों से चले आ रहे घमासान और राजनीतिक दलों की चुपी के बाद इस निगम चुनाव में सभी राजनीतिक दलों का बहिष्कार करते हुए योग्य निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन दिया था और जहां योग्य प्रत्याशी नही थे वहां नोटा को वोट डालने की अपील जारी की थी। जिसका इस चुनाव में खासा असर देखने को मिला। जिस प्रकार इस चुनाव में देखा गया की पिछली बार के मुकाबले डेढ़ सौ फीसदी सीटे अधिक थी, किन्तु इसके बावजूद वोटिंग प्रतिशत पिछली बार के मुकाबले ढाई से तीन फीसदी कम पढ़ा जबकी डेढ़ सौ फीसदी सीटें बढ़ने के बाद करीबन 75 से 80 फीसदी वोटिंग होनी चाहिए थी जिस पर किसी भी राजनीतिक दल ने ध्यान नही दिया। यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा हनन है कि इन राजनीतिक दलों ने आम मतदाताओं के दिलों से मतदान का हक छीन लिया है। 


     संघ सदस्य सर्वेश मिश्रा और चन्द्र मोहन गुप्ता ने बताया कि इस निगम चुनाव में संयुक्त अभिभावक संघ ने सभी राजनीतिक दलों के बहिष्कार की घोषणा की थी जिसका असर साफ-साफ देखा जा सकता है। अब राजनीतिक दल या अन्य कोई कहे कि कोरोना की वजह से वोटिंग प्रतिशत नही बढ़ा तो 58 फीसदी वोटिंग कैसे सम्भव हो पाई, अन्य दोनों जिलों में जयपुर से अधिक वोटिंग कैसे संभव हुई जबकि जोधपुर सबसे बड़ा कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ था। उसके बावजूद भी वोटिंग प्रतिशत में इजाफा हुआ। अब मुद्दों को दरकिनार करने के लिए राजनीतिक दल बहानेबाजी कर टालमटोल करते रहे तो उस उनकी मूर्खता होगी। जिसका परिणाम भी आगामी चुनावों में देखने को मिल जाएगा। यह परिणाम राजनीतिक दलों के लिए आईना है जिसे इन नेताओं को अवश्य देखना चाहिए और सबक लेते हुए जनता से जुड़े मुद्दों पर काम करना चाहिए।