परब्रह्म श्री चित्रगुप्त तो कण-कण में हैं इसलिये वे सभी के अराध्य - अजीत सिन्हा

     कायस्थ मिशन 2 करोड़ व राष्ट्रवादी विकास पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सत्य सनातन रक्षा सेना के राष्ट्रीय संयोजक व कायस्था फाउंडेशन के राष्ट्रीय सलाहकार अजीत सिन्हा ने कहा कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के केंद्रीय शक्ति श्री चित्रगुप्त स्वयं परब्रह्म हैं और वे ही सृजक, पालनहार और विध्वंसक भी क्योंकि उनमें त्रिदेव की शक्तियां केंद्रित है और इसे आप इस रूप में समझ सकते हैं कि अपरंपार ऊर्जा के श्रोत "सदाशिव" से स्वयं नारायण अर्थात्‌ विष्णु उत्पन्न हुये और श्री विष्णु के नाभि कमल से श्री ब्रह्मा और श्री ब्रह्मा के रौद्र से श्री महेश और तीनों का कार्य संसार के संचालन हेतु ब्रह्मा जी को सृजक, श्री विष्णु को पालनहार और श्री महेश को विनाशक के रूप में निर्गत हुई लेकिन तीनों अपने-अपने उतरदायित्व को निभाने में असफल साबित हुए.


     जिससे सभी लोकों में अव्यवस्था फैलने लगी और खासकर देव, असुर, नर-नारी, अप्सराएँ सहित सभी लोकों के प्राणियों, पशु - पक्षियों, कीट - पतंग, वनस्पति सहित 84 लाख योनियों के कर्मों की गणना और कर्मों के हिसाब से उनका अन्य योनियों में प्रवेश अर्थात्‌ सृजन, और कर्मों के हिसाब से पालन - पोषण और फिर उनका अंत का क्रम गडबडाने की वज़ह से और जिससे फैली अव्यवस्था को दुरुस्त करने हेतु सृजक श्री ब्रह्मा ने 1000 वर्षों तक कठिन तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर सदाशिव स्वयं श्री चित्रगुप्त के रूप में प्रकट हुये और त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने उन्हें अपनी - अपनी शक्तियां प्रदान की और इन शक्तियों की वज़ह से श्री चित्रगुप्त कर्मों के हिसाब के मुख्य गणक के साथ - साथ सृजक, पालक और विध्वंसक भी कहे जाते हैं क्योंकि वे 84 लाख योनियों में गुप्त रूप से से निवास कर सभी के कर्मों का लेखा - जोखा करते हैं और सभी को कर्मों के हिसाब से उन्हें अन्य योनियों में प्रवेश कराते हैं जिससे सभी लोकों में व्यवस्था बनी रहती है l



     सौभाग्य की बात है कि सभी के काया में उपस्थित होने के कारण वे कायस्थ के रूप में जाने जाते हैं और सभी में उनका चित्र गुप्त रहने की वज़ह से वे चित्रगुप्त कहलाये जिसका प्रमाण वेद, पुराण, उपनिषदों और पौराणिक ग्रंथो में उपलब्ध है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि सभी सनातनियों को इसका ज्ञान नहीं जिससे केवल ऋषि कुल के ब्राह्मण और कायस्थ कुल के ब्राह्मण, क्षत्रिय ही इनकी पूजन धूम - धूम से करते हैं और  यहां पर यह भी विदित हो कि श्री चित्रगुप्त लेखनी दाता  के साथ - साथ वाणी प्रदाता भी हैं क्योंकि लेखन को पढ़ने से ही स्वर भी आती है इसलिये इनकी पूजन में काग़ज़, कलम, दावात के साथ साथ अन्य पूजन सामाग्री जैसे चंदन, अक्षत, पत्तल, वस्त्र, रोली, तिल, पुरवा, चौकी, मौली, थव, कपूर, झारी, धूप - दीप, केसर, वरण सामाग्री, रुई, दही, फल, कुश - आसन, पान, गुड़, अदरख, शहद, मिठाई, पंचपात्र, सुपारी, घृत, अबीर, अर्घा, पीला सरसों, यज्ञोपवित, गंगाजल, कलश इत्यादि का प्रयोग किया जाता है l


     चूँकि श्री चित्रगुप्त सभी प्राणियों में निवास गुप्त रूप से से करते हैं इसलिये इनकी पूजन सभी को करनी चाहिए और इस बात के भी प्रमाण उपलब्ध हैं कि दशरथ नंदन राम ने भी चित्रगुप्त की पूजन की थी l यह भी यहां पर विचार करने वाली बात है कि सनातन धर्म में किसी के मृत्यु के उपरांत "गरुड़ पुराण" की पाठ क्यों की जाती है? कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन रहते हुये मानव यदि श्री चित्रगुप्त का पूजन करें तो वे अवश्य ही पाप मुक्त होकर बैकुंठ को जाएंगे या जन्म - मरण के बंधन से मुक्त हो जाएंगे l


     इसलिए मेरा यह मानना है और सत्य भी है कि श्री चित्रगुप्त इस चराचर जगत के कण - कण में तो हैं ही साथ में इन्हीं की कृपा से मानव क्या सुर - असुर, पशु - पक्षी, कीट - पतंग, वनस्पति इत्यादि मुक्त होकर अन्य योनियों में प्रवेश करते हैं या अत्याधिक सत्कर्म करने की वज़ह से जन्म - मरण के बंधन से मुक्त हो जाते हैं तो भला ऐसे परब्रह्म सभी के अराध्य हुये की नहीं l जय श्री चित्रगुप्त जय कायस्थ!


सम्पूर्ण सनातन वंदन - 


हरे चित्र हरे चित्र, चित्र - चित्र हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे विष्णु हरे विष्णु, विष्णु - विष्णु हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे ब्रह्मा हरे ब्रह्मा, ब्रह्मा - ब्रह्मा हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे ब्रह्मा हरे विष्णु, ब्रह्मा - विष्णु हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे शिव हरे शिव, शिव - शिव हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे शक्ति हरे शक्ति, शक्ति - शक्ति हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे शिव हरे शक्ति, शिव - शक्ति हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे राम हरे राम, राम - राम हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण - कृष्ण हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


हरे राम हरे कृष्ण, राम - कृष्ण हरे हरे 
हरे चित्रगुप्त हरे चित्रगुप्त, चित्रगुप्त - चित्रगुप्त हरे हरे ll 


यम-द्वितीया, दवातकलम पूजा (भाई दूज) भगवान श्री चित्रगुप्त पूजन मुहुर्त- दिनांक - 16-11-2020 सोमवार
शुभ चौघड़िया मुहूर्त -
अमृत -प्रातः 6:41 से 8:5 बजे तक। 
शुभ - प्रातः - 9:26 से 10:49 बजे तक। 
लाभ - दोप. - 2:56 से 4:18बजे तक।
अमृत - शाम 4:18 से 5:41 बजे तक।


उपर्युक्त शुभ समय सारिणी श्री रविशराय गौड़ जी द्वारा उपलब्ध करायी गयी है l