मुख्यमंत्री गहलौत ने एक और नौकरशाह को प्रमुख पद पर मनोनीत किया

News from - भूपेन्द्र औझा

बंगाल राज्यपाल की भतीजी भी मनोनीत

काग्रेंस कार्यकर्ता मनोनयन का कर रहे इंतजार!

     भीलवाड़ा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आला नौकरशाह को प्रमुख सरकारी पदो पर मनोनीत करने का क्रम जारी है। इस दफे पीछले माह रिटायर्ड हुये पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता को राज्य मुख्य सूचना आयुक्त पद पर नियुक्ति की गई हैं। साथ ही दो सूचना आयुक्त पद पर बंगाल के राज्यपाल जगदीश धनखड़ के भाई रणजीत धनकड़ की पुत्री शीतल धनकड़ और पत्रकार नारायण बारेट को नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री गहलौत अपने पिछले मुख्यमंत्री कार्यकाल में नारायण बारेट को नव गठित पत्रकार विश्वविद्यालय मे प्रमुख प्रशासनिक पद पर नियुक्त किया था. 

(फाइल फोटो - अशोक गहलोत CM राजस्थान) 
     इससे पहले गहलौत के प्रथम मुख्यमंत्री मे राज्य पत्रकार अधिस्वीकरण समिति में नारायण बारेड मनोनीत हुये थे। सूचना आयुक्त पद पर एक दर्जन वरिष्ठ पत्रकारो ने तथा इतने ही आला प्रशासनिक अधिकारियों ने भी आवेदन किया था। आला भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक मुख्य एवम सूचना आयुक्त पद के चयन की नियमानुसार तीन सदस्यों मुख्यमंत्री, प्रतिपक्ष नेता और सरकार की सिफारिश पर मनोनीत, मंत्री शांति धारीवाल  कमेटी की शुक्रवार 3 दिसंबर को हुई मीटिंग में सदस्य प्रतिपक्ष नेता गुलाब चंद्र कटारिया ने चयनित नौकरशाह एवम पत्रकार के चयन मे अपनी सिफारिश नहीं की थी।


     मुख्यमंत्री गहलौत ने पीछले महीने पूर्व आला पुलिस अधिकारी डीजी भूपेन्द्र यादव को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था। तब भी  लोक सेवा आयोग में राहुल गांधी का सार्वजनिक रूप से मजाक बनाने वाले कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू देवी( माली) को सदस्य मनोनीत किया था। मुख्यमंत्री गहलौत के इस दो साल के कार्यकाल में छः नौकरशाह को प्रदेश के निगमों मे अहमः पद पर नियुक्ति हो चुकी हैं जबकि हाल ही केन्द्र सरकार द्वारा एक सरकारी आयोग में रिटायर्ड आला नौकरशाह को मनोनीत करने का राहुल गांधी एवम लोकसभा में काग्रेस नेता अधीर रंजन दास ने विरोध कर सार्वजनिक क्षेत्र के व्यक्तियो को मनोनीत करने की वकालत की थी।

     काग्रेंस नेता- कार्यकर्ता दो साल से सरकारी बोर्ड- निगम- नगर न्यास मे मनोनयन की बाटजो रहे है ।कार्यकर्ताओं के मेहनत से सत्ता मे काबिज होने वाले मुख्यमंत्री- मंत्री कोयन कोई चुनाव का बहाना कर काग्रेंस कार्यकर्ताओं का सरकारी पदों पर मनोनयन को टालते आ रहे। और तो और प्रदेश में काफी समय से भंग काग्रेंस की प्रदेश कार्यकारिणी से लेकर ब्लॉक कार्यकारिणी तक को करीब चार महीने से मनोनयन का इंतजार है। काग्रेंस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जरूर साथ ही मंत्री पद पर बरकरार है।

     आप से सवाल!  अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते  विधानसभा चुनाव में काग्रेंस 154 से 56 ओर 102 से 27 काग्रेंस विधायको की संख्या पर क्यों पहुच जाती हैं?

     दूसरा सवाल, कथित निक्कमे सचिन पायलट के काग्रेंस प्रदेशाध्यक्ष रहते राज्य में सबसे कम 27 काग्रेंस विधायको के होते विधानसभा चुनाव में कैसे काग्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बन, सत्तारूढ़ हो जाती?

     दोनो सवालों के जवाब का इंतजार है! कृपया काग्रेंस कार्यकर्ताओं की तरह लम्बा इंतजार मत कराना !