आज अजीत सिन्हा ने भारत के द्वितीय ईमानदार, कर्मठ, सादगी पसंद प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी जिनका कार्यकाल अद्वितीय रही हो, के मौत के रहस्यों पर से पर्दा उठाने हेतु कमेटी गठित करने की मांग की क्योंकि जिस देश में दिवंगत प्रधानमंत्री और उनके परिवार जन को इन्साफ नहीं मिला हो वहां आम आदमी के इन्साफ की कितनी उम्मीद की जा सकती है?
आज भी लोग कहते हैं कि लाल (बेटा) हो तो लाल बहादुर शास्त्री जैसा। जिसने जय जवान, जय किसान का नारा देकर देश के जवानों और किसानों का मनोबल ही नहीं बढ़ाया अपितु स्वयं के नेतृत्व में पाकिस्तान सेना को सितंबर 1965 के युद्ध में लाहौर तक खदेड़ दिया था और पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया।
आपका जन्म 02 अक्टूबर 1904 को कायस्थ कुल के सनातन धर्म में हुआ था और जात - पात व धर्म से ऊपर उठकर आपने सर्व धर्म समभाव और वसुधैव कुटुम्बकम् के भाव को आपने आत्मसात् किया और पूरे हिंदुस्तान को अपने 18 महीनों के कार्यकाल के दौरान हिन्दुस्तान का सिर गौरवान्वित किया। दिवंगत तिथि 11 जनवरी 1966 तक आप भारत के प्रधानमंत्री बने रहे. आपकी गिनती देश के सबसे चहेते बेदाग छवि वाले प्रधानमंत्री में होती है। 23 सितंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप से आप भारत - पाक जंग को रोकने पर तैयार हुये और 10 जनवरी 1966 को रूस के प्रधानमंत्री की मध्यस्थता से भारत - पाक शांति हेतु उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में समझौता हुई जो पूर्व सोवियत संघ का एक भाग था।
आपकी लोकप्रियता और भारत में आपकी सफलता से आप अमेरिका सहित कई देशों की आँखों की किरकिरी बन गये क्योंकि तत्कालीन समय में आप भारत को आणविक और परमाणु शक्ति में सामर्थ्यवान देश बनाना चाहते थे. इस हेतु ही आप उस समय के सुपर पावर देशों के आँखों की किरकिरी बन गये थे। इस हेतु ही डॉ होमी जहांगीर भाभा की भी एक्सीडेंटल मौत की नींव रखी गई और साथ में आपको भी जहर देकर मार डाला गया. जिसमें उस समय के देश के कुछ गद्दारों ने बाहरी शक्तियों का साथ दिया। जिससे आपकी मौत 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में हो गई. जिसे हम सभी भारत वासी आपकी पुण्य तिथि के रूप में मनाते हैं. इस पुण्य तिथि पर मैं स्वयं से जुड़े तमाम संगठनों की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इतना ही कहना चाहता हूँ कि हर हाल में आपके मौत के रहस्यों पर से पर्दा उठाने हेतु जीवनपर्यंत प्रयत्नशील रहूँगा। जय हिंद!