शिक्षा को लेकर राज्य सरकार गम्भीर नही, अपना रही है गैरजिम्मेदाराना रवैया - सँयुक्त अभिभावक संघ

 News from - अभिषेक जैन बिट्टू

सरकारी स्कूलों की पुस्तकें भी इक्कठा कर जरूरतमंदों को उपलब्ध करवायेगा सँयुक्त अभिभावक संघ 

     जयपुर। एक तरफ निजी स्कूलों पर फीस मसले पर जो कार्यवाही राज्य सरकार को करनी चाहिए थी उस कार्य में राज्य सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है जिसका भी खमियाजा आम जनता को उठाना पड़ा और अब वही दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों की दुर्दशा है देखते ही बनती है। जिससे साफ प्रतीत होता है कि राज्य सरकार शिक्षा को लेकर बिल्कुल भी गम्भीर नही है और लगातार गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाकर प्रदेश की जनता को राम भरोसे छोड़ दिया है। 

     संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश संयुक्त मंत्री मनोज जसवानी और हस्ताक्षर अभियान प्रभारी दौलत शर्मा ने कहा कि शिक्षा को लेकर राज्य सरकार की बेरुखी पर गम्भीरता से ध्यान दिया जा रहा है वक़्त आने पर कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दोनो को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। निजी स्कूलों को फीस लूटने का लाइसेंस देकर आंखे मुदकर बैठ गई है ठीक उसी प्रकार सरकारी स्कूलों और राजस्थान स्टेट ओपन स्कूलों को बनाकर राज्य सरकार भूल गई है जनता बेचारी है पिसती है तो पिस्ते जाए, सरकार को कोई फर्क नही पड़ता। आज राजस्थान स्टेट ओपन स्कूलों के 10 वीं और 12 वीं के बच्चों के साथ ऐसा खिलवाड़ किया जाएगा जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। शिक्षा विभाग परीक्षाओं को लेकर सदैव चिंतित दिखती है किंतु पढ़ाई को लेकर वह बिल्कुल भी चिंतित नही है। विभाग की लापरवाही के चलते दिसम्बर में मिलने वाली किताबें मई में मिलेगी, जो 6 महीनों की पढ़ाई का नुकसान विभाग की लापरवाही से हुआ उसकी भरपाई कैसे संभव होगी। राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री को इस मसले पर तत्काल संज्ञान लेकर दोषियों पर कार्यवाही करनी चाहिए। 

     एक्टिव पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष मनीष शर्मा ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा बच्चों को बिल्कुल भी भोगने नही दिया जाएगा। सँयुक्त अभिभावक संघ पिछले 5 दिनों से पुस्तक बुक बैंक लॉन्च कर चुका है जिसने एक्टिव पेरेंट्स एसोसिएशन भी सक्रियता के साथ कार्य कर रहा है इस अभियान में अभी तक निजी स्कूलों की पुस्तकें इक्कठी की जा रही थी किन्तु अब से सरकारी स्कूलों और स्टेट ओपन स्कूलों की पुस्तकें एकत्रित की जाएगी। इस अभियान के तहत प्रत्येक जरूरतमंद बच्चों की पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाएगी जिससे वह समय से अपनी पढ़ाई कर सके। इस अभियान से राज्य सरकार को 3.50 करोड़ की बचत होगी और पर्यावरण की रक्षा भी होगी।