मेरी याद नहीं आती

Poem from - AKANKSHA  JAIN


जो रहती नहीं थी, मेरे बिना एक पल भी

उसे अब मेरी कभी, याद नहीं आती

एक मेरा दिल था पागल, कुछ ज़्यादा ही

धड़कन अब भी बिन उसके, धडक नहीं पाती

वो ख़ुश है बहुत बिना मेरे, ज़िंदगी में अपने

एक मेरी सांसे है, जो बिन उसके चल नहीं पाती











चाँद था जिसकी, रातों का मैं

अब मुझे वो, चाँदनी नहीं भाती

तडपते रहता हूँ, रात-भर ​​यादों में उसकी

बिन याद किये उसको, मुझे नींद जो नहीं आती

क्यूँ खफा हुई, खुशी मेरी मुझसे

क्यूँ लबों पे मेरे वो हंसी, अब नजर नहीं आती

जिसका एक पल, कटता नहीं था मेरे बिना

क्यूँ उसे मेरी, कभी याद नहीं आती

ज़िन्दगी में ये याद है सब कुछ उसे

बस मेरी याद नहीं आती

बस मेरी याद नहीं आती...