प्रदेश के 2 करोड़ अभिभावकों के साथ अन्याय कर रही है राज्य सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ

News From - अभिषेक जैन बिट्टू

 स्कूल फीस फसाद .....

पिछले सत्र के साथ-साथ अब नए सत्र पर भी फसाद, " जब स्कूल ही नही तो फीस भी नही " का आदेश जारी करे

     जयपुर। स्कूलों को लेकर फसाद बरकरार है अभिभावकों, स्कूलों और टीचरों सहित बच्चों तक के मन मे खटास पड़ चुकी है किंतु राज्य सरकार इन सब के बावजूद गहरी नींद में सोई हुई है संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि " केंद्र और राजस्थान सरकार निजी स्कूलों की फीस को लेकर चुप्पी साधे बैठी है और प्रदेश के 2 करोड़ अभिभावकों के साथ अन्याय कर रही है। पिछले एक वर्ष में अभिभावक अनगिनत बार राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को ज्ञापन दे चुके है, शिक्षा अधिकारियों को शिकायत दर्ज करवा चुके है किंतु ना सरकार अभिभावकों की सुन रही है ना प्रशासन अभिभावकों की शिकायतों पर कार्यवाही कर रहा है। जिससे प्रदेश के 2 करोड़ से अधिक अभिभावक अपने आपको अपमानित तक महसूस कर रहे है। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि पिछले एक वर्ष से कोरोना का डर दिखाकर अभिभावकों की नोकरी छीनी गई, अभिभावकों के काम-धंधे चौपट किये गए, उसके बाद अभिभावकों पर बिना काम-धंधे के महंगाई का बोझ मंडा गया केवल यही नही बन्द पड़े निजी स्कूलों ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर पूरी फीस वसूलकर अभिभावकों की माली हालात पर मार पर मार मारी गई। जबकि निजी स्कूलों ने स्कूलों से 70 फीसदी स्टाफ, टीचरों को हटा दिया, जो स्टाफ और टीचर रखे हुए है उनकी सैलरी में 30 से 70 फीसदी तक कि कटौती कर दी, जो बच्चे पहले 6 से 8 घन्टे स्कूलों में पढ़ने जाते थे उनको ऑनलाइन के नाम पर डेढ़ से दो घन्टे की क्लास देकर ना केवल पूरी ट्यूशन फीस वसूली जा रही है बल्कि स्कूलों के अन्य खर्चे भी पूरे वसूले जा रहे है।

अभिभावकों पर रोजी-रोटी का संकट, निजी स्कूल संचालक बन्द स्कूलों में भी बड़ा रहे है 15 से 30 फीसदी फीस

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश का अभिभावक कोरोना संक्रमण के चलते अपने काम-धन्धो से वंचित हो गया है, किसी का व्यापार चौपट हो गया है तो किसी की नोकरी छीनी जा चुकी है ऐसे में अब अभिभावकों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है इस स्थिति के बावजूद निजी स्कूलों ने नए सत्र की फीस 15 से 30 फीसदी तक बढाने का निर्णय लेकर सर्कुलर तक जारी कर दिए है नो प्रॉफिट ना लॉस का संकल्प लेकर स्कूल संचालन की परमिशन हासिल करने वाले निजी स्कूलों ने शिक्षा को व्यापार का अड्डा बना दिया है संघ के हेल्पलाइन नम्बर 9772377755 पर सूचना मिली है कि माहेश्वरी पब्लिक स्कूल, नीरजा मोदी, केम्बिज कोर्ट सहित बहुत से स्कूलों ने पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष में फीस में 15 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है जबकि महेश नगर स्थित वारन एकेडमी ने तो अभिभावकों को प्रलोभन देते हुए स्कूल में इन्वेस्ट करने का फार्मूला ईजाद किया है जिसमे ढाई लाख के इन्वेस्टमेंट पर 50 फीसदी फीस में छूट और 5 लाख के इन्वेस्टमेंट पर पूरे साल की फीस माफी की स्कीम चलाई है। जो शिक्षा के मंदिरों पर अनैतिक कार्य है जिस पर सरकार और प्रशासन को संज्ञान लेकर स्कूल का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए। 

अभिभावकों के सब्र का इम्तेहान ना ले स्कूल, सरकार और प्रशासन, मजबूर अभिभावकों को सड़कों पर उतरना होगा

     संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश संयुक्त मंत्री मनोज जसवानी ने कहा कि राज्य सरकार, प्रशासन और निजी स्कूल संचालक लगातार अभिभावकों के सब्र का इन्तेहान ले रहे है, इसका मतलब यह नही की प्रदेश का अभिभावक कमजोर हो गया है, राज्य सरकार जितनी सख्ती कोरोना को लेकर बरत रही है ठीक उसी प्रकार शिक्षा विभाग एवं शिक्षा मंत्री को अभिभावकों की समस्याओं का भी निदान करना चाहिए वर्ना अभिभावको को मजबूरन निजी स्कूलों एवं सरकार की असंवेदनशीलता के खिलाफ सड़को पर उतरना होगा।

असामाजिक स्कूल संचालक अभिभावकों को असामाजिक तत्व संबोधित नही कर सकते

     प्रदेश संगठन मंत्री अमृता सक्सेना ने कहा कि कुछ निजी स्कूल संचालक अभिभावकों की एकजुटता से बोखला गए है और इसी बौखलाहट में प्रदेश के अभिभावकों का अपमान करते हुए उन्हें असामाजिक तत्व संबोधित कर रहे है। निजी स्कूल संचालक अभिभावकों से फीस वसूलने को लेकर संगठित होकर प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन बनाकर अभिभावकों को खुलेआम डराने-धमकाने का काम कर रहे है और अभिभावकों को यूनियन ना बनाने की धमकियां देकर कानून का डर दिखा रहे है। एसोसिएशन ने पुलिस कमिश्नर को अभिभावकों को असामाजिक तत्व संबोधित कर सिद्ध कर दिया कि वह खुद असामाजिक हो गए है और अब बौखलाहट में अभिभावकों के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे है।