जनता कोरोना से बेहाल है और स्कूल संचालक बच्चों की पढ़ाई रोकने की धमकी दे रहे है - संयुक्त अभिभावक संघ

News from - अभिषेक जैन बिट्टू  (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान)


एमपीएस, सोफिया सहित विभिन्न स्कूलों ने सर्कुलर जारी कर अभिभावकों को दी चेतावनी

     जयपुर। एक वर्ष से भी अधिक समय से निजी स्कूलों की फीस का मामला निपटने का नाम नही ले रहा है और ना राज्य सरकार फीस मसले पर अपनी दिलचस्पी दिखा रही है और ना ही केंद्र सरकार अपनी दिलचस्पी दिखा रही है जिसके चलते निजी स्कूल संचालक लगातार अपनी हठधर्मिता का प्रदर्शन अभिभावकों पर कर फीस वसूलने के तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे है। अभी हाल ही में नए सत्र की फीस को लेकर कुछ स्कूलों ने सर्कुलर जारी कर खुले तौर पर अभिभावकों को चेतावनी दी है फीस जमा करवाओ अन्यथा बच्चों की पढ़ाई रोक दी जाएगी। 

     संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी दी कि संगठन के हेल्पलाइन नम्बर पर पिछले 3-4 दिनों से शिकायत मिल रही है कि कुछ स्कूलों की तरफ से सर्कुलर जारी कर फीस जमा करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। सर्कुलर में स्पष्ट लिखा हुआ है कि पिछले सत्र की बकाया पूरी राशि और नए सत्र की पहली किश्त एडवांस जमा करवाने पर ही बच्चों की पढ़ाई करवाई जाएगी, अन्यथा बच्चों को ऑनलाइन क्लास तक अटेंड करने नही दिया जाएगा। जबकि पिछले सत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है उसके बावजूद स्कूलो की हठधर्मिता के चलते अधिकतर अभिभावकों ने 70 फीसदी से अधिक फीस जमा करवाई हुई है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में पिछले सत्र की फीस छह किश्तों में जमा करवाने का आदेश दिया है जिसकी पहली किश्त 5 मार्च को थी और अंतिम किश्त 5 अगस्त को जाएगी। उन सबके बावजूद निजी स्कूल संचालक कोरोना जैसे विकराल महामारी के बावजूद अभिभावकों पर अनैतिक दबाव बनाकर अभिभावकों को प्रताड़ित कर रहे है। 

कोर्ट की खुलेआम अवमानना कर रहे निजी स्कूल संचालक, सरकार और प्रशासन करे कार्यवाही

     संघ के प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि सोफिया स्कूल सहित विभिन्न स्कूलो की शिकायत प्राप्त हो रही है स्कूलों द्वारा भेजा जा रहा फीस वसूली का सर्कुलर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम अवमानना है क्योंकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया था कि किसी भी स्टूडेंट को फीस जमा ना होने पर ऑनलाइन शिक्षा से बाहर नहीं किया जा सकता है और ना ही फैसला आने तक एक साथ पूरी फीस ली जा सकती है। राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और प्रशासन को तत्काल संज्ञान लेकर निजी स्कूलों पर कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए।