“मानवता के लिए सभी जीवन रक्षक औषधियों को पेटेंट कानूनों से मुक्त रखा जावे"

News from - गोपाल सैनी (कार्यालय सचिव-किसान महापंचायत)

     Jaipur -किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के निम्न प्रस्ताव को दिनांक 01.06.2021 को ज़ूम मीटिंग में सर्वसम्मति से पारित किया गया.

      योजनाएं वे ही श्रेष्ठ होती है जो निर्धन, अभावग्रस्त, गरीबों के समूह को कष्टों से छुटकारा दिला सके. पीपुल्स वैक्सीन अलायंस के अनुसार कोविड-19 के कारण वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने बेतहाशा लाभ कमाया है. पेटेंट कानूनों से मिले एकाधिकार के कारण औषधियों के दाम 50 गुणा तक बढ़ जाते है. जैसे कोविशिल्ड को सीरम कंपनी द्वारा केंद्र सरकार को 150 रुपये में बेचा गया. इसी का राज्यों के लिए मूल्य 300 रुपये निर्धारित किया गया . इसमें से 150 रुपये की राशी रायल्टी के रूप में एस्ट्राजनिका कंपनी को चली जाती है. लागत मूल्य (COP) अंकित होने से इस लूट पर अंकुश की संभावना बनती है किन्तु अभी तक कोई भी कंपनी लागत मूल्य अंकित नहीं करती. परिणामत: स्वस्थ प्रतियोगिता को समाप्त कर पेटेंट कानूनों के एकाधिकार के आधार पर नो नए अरबपति बने हैं.

      जिनकी संपत्ति 1411.22 अरब रुपए हैं और पुराने 8 अरबपतियों की संपदा ‌‌‌‌‌‍में 25 खरब रुपये की वृद्धि हुई है. इनमे पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के संस्थापक भारत के साइरस पूनावाला शामिल है, जिसकी सम्पति 59,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 92,710 करोड़ रुपये हो गयी है. उन्होंने अपना धंधा मानव अधिकारों तथा अंतरराष्ट्रीय वाचा के अनुच्छेद 12 के गारंटीकृत स्वास्थ्य अधिकारों का उल्लंघन कर किया है. जिन्हें विश्व की बड़ी हस्तियों का अप्रत्यक्ष समर्थन रहा है. सरकारों की ओर से चलनी वाली स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का भी समुचित मूल्याकन किया जावें. जिससे वे औषधियों का मूल्य बढाने में सहायक नहीं बने. इसी प्रकार विश्वस्तर पर मीडिया माफिया को भी पनपने के लिए अवसर उपलब्ध नहीं होने की चिंता की जावें.

     अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार इंग्लैंड में 40%, यूरोप में 20% का टीकाकरण हो चुका है जबकि अफ्रीका में यह 2% है. अफ्रीका एवं भारत ने विश्व व्यापार संगठन की ट्रिप काउंसिल के समक्ष कोरोना संबंधी वैक्सीन एवं मेडिसिन को पेटेंट कानूनों से मुक्त रखने के लिए प्रस्ताव रखा हुआ है. जिस पर 9, 10, 11 जून को विचार होने की संभावना है. इस प्रस्ताव का 100 से अधिक देशों ने समर्थन किया है तथा धनाढ्य विकसित कहने वाले देशों में विरोध किया है. इसी मानसिकता के कारण 20 देशों के समूह (जी-20) ने पेटेंट संबंधी औषधियों के सभी उत्पादकों को ‘पूल’ बनाने की चर्चा की है.

     इसी दिशा में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने प्रकट किया है कि विश्व में अभी तक 35,40,000 कोरोना में काल का ग्रास बन चुके हैं. इस भयावहता को रोकने के लिए टीकाकरण हेतु 3.65 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता का आकलन किया है. उसके अनुसार इनमें से 25.55 लाख करोड़ रुपये धनाढ्य एवं धनी देश दान दे. शेष 10.95 लाख करोड़ रुपये का मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक से ऋण दिया जावें. इस प्रकार धनाढ्य एवं धनी देश (विकसित देश) एवं उनके पैरवी करने वाले ने पेटेंट कानूनों से मुक्ति देने का परोक्षत: विरोध कर दिया. इन दोनों देशों की संख्या कम है किंतु इन्हें प्रभावी माना जाता है. यह मानवता को महत्व नहीं देते वरन धनोपार्जन में एकाधिकार प्राप्ति को महत्वपूर्ण मानते हैं.

     यह देव/दानवी वृतियों के विचारों में संघर्ष है, देवासुर संग्राम अभी है. देशवासियों की भारत के नेतृत्व करने वालों से अपेक्षा है कि वे मानवता की रक्षार्थ नेतृत्व क्षमता सिद्ध करें. इससे सम्पूर्ण समाधान की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होगा. इसी से ईश्वर/प्रकर्ति प्रदत्त बुद्धि को संपदा मानकर पेटेंट कानून बनाने पर रोक संभव हो सकेगी. बुद्धि ईश्वर/प्रकर्ति प्रदत्त है जो संपदा की श्रेणी में आ ही नहीं सकती. स्वास्थ्य रक्षक औषधियों को पेटेंट से मुक्त किये जाने का आरम्भ कोविड-19 से किया जावें.” 

     आज प्रात: 11.30 AM आरम्भ इस ज़ूम मीटिंग में प्रो.गोपाल मोदानी, सिक्ख न्यूज़ इंटरनेशनल के मनमोहन सिंह, अन्ना आन्दोलन टीम के राजीव शर्मा, बूंदी से हंसराज मीणा, डॉ. स्वामी रामेश्वरानंद, युवा किसान महापंचायत के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर चौधरी, महामंत्री पिंटू यादव एवं जयपुर जिलाध्यक्ष सुखदेव महरिया ने इस प्रस्ताव के समर्थन में अपने विचार व्यक्त किये. मीटिंग के अंत में किसानो के संघर्ष में शहीदों के साथ गुरुग्राम में धरना आरम्भ करने वाले एवं किसानो के लिए निरंतर समर्पण भाव से संघर्षरत हरियाणा राज्य के रोहतक जिले के निन्दाना के निवासी रणवीर सिंह राठी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए दो मिनट का मौन रखते हुए, श्रध्दांजलि अर्पित की गयी.