PM कार्यालय को सम्मान के साथ खुला पत्र

From - सभी भारतीय सीनियर सिटीजन  

     भारत के प्रधानमंत्री के लिए देश के वरिष्ठ नागरिकों की तरफ से बढ़ती महंगाई से त्रस्त व मिलने वाली सुविधाओं मैं भी कटौती के कारण जीवन यापन मुश्किल हो गया है. इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय को सम्मान  के साथ एक खुला पत्र लिखा गया है. विश्वास है कि प्रधानमंत्री इस समस्या पर भी ध्यान देंगे.  

     मैं एक वरिष्ठ नागरिक हूं और  01अगस्त 2012 को 5 साल के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक में 20 लाख रुपये जमा किया था। मुझे Rs.17676.00 हर महीने व्याज की राशि का भुगतान किया जा रहा था जो आर्थिक रूप से चिंता मुक्त जीवन जीने में सक्षम था।

   परिपक्वता तारीख पर जब बैंक ने राशि का पुनर्निवेश किया तो अब मुझे केवल Rs.10416  व्याज मिल रहा है अर्थात 7260/- प्रति माह कम मिल रहा है। जो पिछले रिटर्न पर 40% कम के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। क्या आप मुझे सलाह दे सकते हैं कि मुझे यह नुकसान क्यों उठाना चाहिए या अपनी दवाईयां, आटा, दाल, सब्जी, फल, दूध आदि का सेवन त्याग देना चाहिए? 

    2014 में सत्ता संभालने के बाद वरिष्ठ नागरिकों के लिए अभी तक कुछ  नहीं किया गया और न कोई सुविधाएं दी गई लेकिन 2014 में जो मौजूद था उसे भी वापस ले लिया गया। वर्ष 2014 की कीमत पर मुद्रास्फीति की वजह से कोई भी वस्तु या सेवा उपलब्ध नहीं है। हां, आप मुद्रास्फीति और सूचकांकों के आंकड़े लाने में सक्षम रहे हैं, लेकिन वास्तविक कीमतों पर नहीं। दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुएँ आटा, दाल, चावल, नमक,  बेसन, प्याज, टमाटर, साग सब्जी आदि वस्तुओं को ठीक से वरिष्ठ नागरिक इस्तेमाल करने का साहस भी नहीं कर पा रहा है।

     मुझे पता है कि आपके पास इन मुद्दों के लिए जवाब हैं जैसे बैंकों में जमा/ अग्रिम पर ब्याज,मांग और आपूर्ति पर निर्भर है। कृषि उत्पादों के मौसम के साथ दैनिक उपयोग की  वस्तुओं की कीमतें बदलती रहती हैं। लेकिन कीमतों के सीधे ऊपर की ओर तेजी से बढ़ने को ,इन कारणों से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। यदि सरकार उद्योगों को सस्ता क्रेडिट प्रदान करना चाहती है, जरुर करे। परंतु वरिष्ठों की जमा के व्याज की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

     बैंक NPA के ज्वालामुखी पर बैठे हैं और सभी अच्छे पैसे खराब पैसे के लिए डायवर्ट किए जा रहे हैं। लेकिन क्या यह सरकार का कर्तव्य नहीं है कि वह वरिष्ठ नागरिकों को  सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम करे जिन्होंने अपने स्वर्णिम  जिंदगी के हजारों दिन/30-40 साल देश की सेवा में विभिन्न संगठनों में काम करके व्यतीत किया हो? 

     मैं ये समझ नहीं पा रहा हूं, कि इस 40% की आय की कमी को कैसे पूरा किया जाए जब कि महंगाई 200% से ज्यादा बढ़ गई है। क्या कोई  केन्द्रीय एवम् राज्य सरकार मंत्री / सांसद / विधायक अपने वेतन और भत्ते में इस प्रतिशत से कटौती करने के लिए तैयार है ? अगर नहीं तो फिर वरिष्ठ नागरिक ही क्यों वहन करे। 

     शायद ऐसा इसलिए है कि आप की तरह हमारे पास अपने स्वयं के वेतन भत्ते और  पर्क को समय समय पर संशोधित करने की शक्ति नहीं है। पूरे वर्ष में मात्र 3 महीने के सत्र में काम के लिए पूरे वर्ष तक वेतन भत्ते आदि दिया जाता है। जब आपकी सैलरी बढ़ाने की बात आती है, तो एक या 2 मिनट में बिना किसी चर्चा के पास कर देते हैं, सभी सत्ताधारी और विपक्ष एक साथ हो जाते हैं।

     इस वृद्धि के लिए आप राजकोष, घाटे, अर्थशास्त्र और किसी भी अन्य कारकों  को नहीं देखते। सरकार ने पहले वरिष्ठ नागरिकों की जमा राशि के लिए एक योजना 9.20% की शुरू की थी लेकिन जुलाई में इसे घटाकर 8.3% कर दिया गया, और फिर मई 2020 में घटाकर 7.4% कर दिया। इसके अलावा जमा की अधिकतम सीमा केवल 15 लाख रुपये तक कर दी गई है। जो अनुचित है। 

    अनुरोध है वरिष्ठ नागरिकों के लिए न्यूनतम व्याज दर 12% की जाए और अधिकतम राशि सीमा  एक व्यक्ति के टर्मिनल लाभों के बराबर होनी चाहिए। सरकार को वरिष्ठ नागरिकों को  वित्तीय सम्मान सुनिश्चित करना चाहिए। मुझे यकीन है कि आप उन लोगों की दुर्दशा को अवश्य समझेंगे जिनको अपने वर्तमान खर्च का हिस्सा उनके जीवनकाल की बचत के ब्याज से मिलता है। मैं क्षमा चाहता हूँ अगर मैंने आपको किसी भी तरह से नाराज किया है।

धन्यवाद और सादर.