News from - अभिषेक जैन बिट्टू
फीस के चलते बच्चों को पढ़ाई से वंचित कर रहे निजी स्कूल, शिक्षा विभाग कठपुतली बन तमाशा देख रहा है - अरविंद अग्रवाल
जयपुर। प्रदेश में फीस को लेकर मसाद बरकरार है ना निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना कर रहे है ना शिक्षा विभाग और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के 03 मई 2021 को आये आदेश की पालना सुनिश्चित करवा पा रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ ने आरोप लगाते हुए कहा कि " राज्य सरकार और शिक्षा विभाग पूरी तरह से निजी स्कूलों के इशारों पर कार्य कर उन्हें खुला संरक्षण दे रहे है। " अभिभावकों, विद्यार्थियों और शिक्षकों की कही भी कोई सुनवाई नही हो रही है। आवाज उठाने पर झूठे मुकदमेबाजी करवाई जाती है, प्रदर्शन करने पर लाठीचार्ज कर आवाज को दबाने के षड्यंत्र रचे जाते है।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 05 अगस्त 2021 तक 6 किश्तों में फीस जमा करवाने के आदेश फीस एक्ट 2016 के अनुसार सत्र 2019-20 की फीस का 85 % जमा करवाने के आदेश दिए थे। किंतु निजी स्कूल ना सत्र 2019-20 की फीस का ब्यौरा दे रहे है, ना एक्ट के मुताबित तथ्यों की जानकारी दे रहे, मनमाने तरीके से फीस निर्धारित कर अभिभावकों फीस जमा करवाने का दबाव बना रहे है अब जब 5 अगस्त की तिथि निकल गई तो बच्चों को पढ़ाई से वंचित रखते हुए उनकी ऑनलाइन क्लास बन्द कर रहे है एक्जाम देने से रोक रहे है। जो पूरी तरह से गैरकानूनी है। शुक्रवार 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश और स्कूल फीस एक्ट 2016 की पालना सुनिश्चित करवाने की मांग को लेकर शहर के अभिभावक बड़ी संख्या में शिक्षा संकुल पर एकत्रित हुए थे किंतु निजी स्कूलों और स्कूलो के संरक्षकों ने षड्यंत्र रचकर अभिभावकों के आंदोलन को तोड़ने और आवाज दबाने की साजिश रची। किन्तु अभिभावकों की एकजुटता के आगे षडयंत्रकारियो की एक ना चल सकी। अब जब तक राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेश और स्कूल फीस एक्ट 2016 की पालना सुनिश्चित नही कर देती है तब तक कोई भी अभिभावक स्कूलो में फीस जमा नही करवाएंगे।
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार बेहतर शिक्षा के दावे और वादे करती है वही दूसरी तरफ निजी स्कूलों के दबाव में आकर शिक्षा विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करने के सख्ती से निर्देश जारी नही करती है। प्रदेश की सरकार और शिक्षा विभाग पूरी तरह से निजी स्कूलों को संरक्षण दे रही है और उन्ही के दबाव के चलते अभिभावकों की शिकायतों को दरकिनार कर रही है। सरकार के इस रवैये के चलते निजी स्कूल संचालक अभिभावकों पर मनमानी करते हुए बच्चों की पढ़ाई और एक्जाम रोक रहे है और राज्य सरकार और शिक्षा विभाग कठपुतली बन केवल बच्चों के भविष्य खराब होने का तमाशा देख रहे है।